एजेंडे पर खालिस्तान
यह संयोग मात्र है कि भारत ने सोमवार को न्यूजीलैंड और अमेरिका, दोनों से साफ तौर पर कहा कि वे अपने देश में भारत विरोधी विशेषकर खालिस्तानी आतंकी समूहों पर लगाम लगाएं।
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न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और अमेरिकी खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत की यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूजीलैंड के अपने समकक्ष क्रिस्टोफर लक्सन से मुलाकात के बाद उनके देश में चलाए जा रही भारत विरोधी गतिविधियों से अवगत कराया।
दूसरी ओर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के साथ बातचीत के दौरान अमेरिका में सक्रिया खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) की भारत विरोधी गतिविधियों का मुद्दा उठाया। लोगों को याद होगा कि इन दिनें अमेरिका में हिन्दू मंदिरों पर लगातार हमले हुए हैं जिनमें एसएफजे का हाथ बताया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने हिन्दू मंदिरों को निशाना बनाए जाने पर अपनी चिंता व्यक्त की और एसएफजे को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की। अभी पिछले सप्ताह पंजाब के अमृतसर में ठाकुरद्वारा मंदिर पर ग्रेनेड से हमला किया गया था। पंजाब में नवम्बर, 2023 से अब तक यह 13वीं आतंकी घटना है।
कुछ शरारती तत्व यहां अलगाववाद और उग्रवाद को फिर से जीवित करने के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जाहिर है कि ऐसी घटनाओं से सामाजिक ताना-बाना को खतरा पैदा हो सकता है। इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि विदेशी ताकतें इन उग्रवादी समूहों को लॉजिस्टिक मदद मुहैया कराती हैं। कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में सिख फॉर जस्टिस काफी सक्रिय है।
पंजाब में हाल के दिनों में जो आतंकी घटनाएं हुई हैं, उनकी जांच के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, उनके आधार पर पुलिस ने दावा किया है कि इनका संबंधी प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और बब्बर खालसा से है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तुलसी गबार्ड को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और बब्बर खालसा के साथ सिख फॉर जस्टिस के कनेक्शन की भी जानकारी दी। सबसे अच्छी बात यह है कि पंजाब की छुट-पुट आतंकी घटनाअें को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़े परिप्रेक्ष्य में देखा और गंभीरता से लिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दोनों देशों से स्पष्ट कहा है कि अपने यहां ‘खालिस्तानी’ गतिविधियों पर अंकुश लगाएं।
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