वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
दिल्ली तथा आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से रिपोर्ट मांगी है।
वायु प्रदूषण पर चेतावनी |
सर्दियों में वायु प्रदूषण की समस्या व पराली जलाए जाने को लेकर न्यायमित्र वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह की दलीलों पर पीठ ने गौर किया। सिंह ने पीठ से कहा कि शरद ऋतु की शुरुआत व दिवाली आने के साथ वायु प्रदूषण की समस्या वास्तव में बढ़ने वाली है। प्रदूषण नियंत्रित करने के उपायों व फसलों के अवशेष जलाने के मुद्दे पर सीएक्यूएम से रिपोर्ट मांगी जाए।
प्रति वर्ष सर्दियों के दौरान देश की राजधानी व इसके इर्द-गिर्द के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दुनिया भर के सात हजार शहरों के सव्रेक्षण में दिल्ली की हवा सबसे खराब होने की पुष्टि की है। इस प्रदूषण के कारण देश में हर साल बीस लाख लोगों के मारे जाने का अनुमान है।
क्रॉनिक सांस की बीमारियों व अस्थमा से मृत्यु दर भारत में सबसे ज्यादा होती है। नवम्बर, 2019 में सबसे बड़ी अदालत ने नाराजगी जताई थी कि दिल्ली नरक से भी बदतर हो गई है। अच्छा है बम या विस्फोटक से सबको मार दिया जाए। बावजूद इसके कोई कदम नहीं उठाए गए। पराली जलाने पर पाबंदी के बावजूद किसानों को रोका नहीं जा सका है। विशेषज्ञों का कहना कि प्रदूषित हवा से सिरदर्द, खांसी, गले में जलन/खराश, सुस्ती, फेफड़ों का कैंसर आदि से जल्दी मृत्यु हो रही है।
एलर्जी व त्वचा संबंधी दिक्कतें भी इससे होती हैं। बच्चों में ांस संबंधी शिकायतों व अस्थमा के लिए प्रदूषण को दोष दिया जाता है। बावजूद इतने खतरों के लीपापोती तो होती है। मगर पुख्ता कदम नहीं उठाए जाते। सरकारी तौर पर जो सख्तियां होती हैं, वे फौरी राहत का काम करती हैं।
वायु की गुणवत्ता सुधारने के प्रति आम जन को भी चेतना चाहिए। पेड़ों की अधाधुंध कटाई और हरित क्षेत्र का सीमित होते जाना भी इन समस्याओं के मूल में है। वाहनों का बोझ ढोने में राजधानी अव्वल है जो जहरीला धुआं उगलते हैं।
बढ़ता शहरीकरण, कंकरीट के जंगल और चौड़ी होती सड़कें देखने में जितनी सुंदर व सुविधाजनक लगती हैं, उतनी ही पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित होती हैं। किसी भी प्रदूषण को रोकने के सार्वजनिक उपाय होने चाहिए और हमें रोजमर्रा की जिंदगी में उन्हें अहम स्थान देना सीखना चाहिए।
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