राजस्थान में रेजिडेंट चिकित्सकों ने अपनी हड़ताल बुधवार शाम समाप्त करने की घोषणा की। ये चिकित्सक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार रात से हड़ताल पर थे।
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‘जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड)’ के एक बयान के अनुसार उन्होंने अपनी हड़ताल राजस्थान उच्च न्यायालय के एक फैसले को ध्यान में रखते हुए समाप्त कर दी।
जार्ड के अध्यक्ष मनोहर सियोल ने बताया कि हड़ताल समाप्त करने का निर्णय उच्च न्यायालय के फैसले एवं जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने आज हड़ताल का स्वत: संज्ञान लिया और सुबह में राज्य सरकार से जवाब मांगा। इसके बाद मामले की सुनवाई दोपहर दो बजे के लिए निर्धारित की गई। उस समय तक पीठ को सूचित किया गया कि राज्य सरकार और रेजिडेंट डॉक्टरों के बीच समझौता हो गया है और हड़ताल वापस ले ली गई है।
हालांकि पीठ ने रेजिडेंट डॉक्टरों की शिकायत सुनने के लिए प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की और मामले में अधिवक्ता स्वदीप सिंह होरा को न्यायमित्र नियुक्त किया।
मामले की सुनवाई 21 नवंबर को होगी, जब अदालत इस मामले पर फिर से विचार करेगी।
जार्ड के अध्यक्ष सियोल ने बयान में कहा कि अदालत ने रेजिडेंट डॉक्टरों की समस्याओं को समझा और प्रशासन से इस पर संज्ञान लेने को कहा, ताकि उनकी मांगों का शीघ्र और प्रभावी समाधान किया जा सके।
कोलकाता में एक महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर इस साल अगस्त में हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित किए जाने के बाद उन्होंने काम फिर से शुरू कर दिया था।
हालांकि, प्रशासन की निष्क्रियता के कारण, उन्होंने 19 अक्टूबर की शाम को हड़ताल फिर से शुरू कर दी और राज्य के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) और आपातकालीन सेवाओं,ऑपरेशन थिएटर और लेबर रूम में सेवाओं का बहिष्कार किया।
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