नष्ट करना होगा आतंकी तंत्र
नि:संदेह आतंकवाद सिर्फ भारतीय राज्य के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। यह समझना जरूरी है कि आतंकवाद सामान्य अपराध के दायरे में नहीं आता है।
नष्ट करना होगा आतंकी तंत्र |
इसका एक निश्चित सामाजिक-राजनीतिक लक्ष्य होता है जिसकी प्राप्ति के लिए गुरिल्ला युद्ध का सहारा लिया जाता है। इसलिए देश-विदेश की सभी सरकारों के लिए आतंकवादा सर्वाधिक चिंता का विषय रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी वैश्विक मंचों पर आतंकवाद का मुद्दा जोर-शोर से उठाते रहे हैं।
बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी के दो दिवसीय आतंकवाद रोधी सम्मलेनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकी तंत्र को कठोरता से नष्ट करने का आह्वान किया। उनका विश्वास है कि सभी राज्यों में आतंकवाद रोधी एजेंसियों की वरीयता, ढांचा और जांच की मानक प्रक्रिया समान होनी चाहिए ताकि केंद्र और राज्य की एजेंसियों में बेहतर समन्वय हो सके। जाहिर है आतंकवाद अगर वैश्विक चुनौती है तो उसके खिलाफ लड़ाई में सबको एक साथ मिलकर आगे आना होगा।
शाह ने ठीक ही कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘ग्लोबल से गांव’ तक और देश के विभिन्न राज्यों से लेकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ काम करने की जरूरत है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन युद्ध का सामान्य नियम है कि दुश्मन को जानो और उसे कमजोर मत समझो। उसका अर्थ है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल करने के लिए आतंकवादी संगठनों की रणनीति, कूटनीति, युद्धशैली और सांगठनिक शक्ति, आय के स्रेत आदि बातों के बारे में निश्चित जानकारियां पता होनी चाहिए।
यह जाने बगैर आतंकवादी संगठनों की गुरिल्ला युद्ध प्रणाली को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। अगर भारत की जांच एजेंसियों को आतंकी संगठनों के ऑपरेशन से संबंधित सही जानकारियां मिल जाती हैं तो उनके खिलाफ सफल अभियान चलाने में सुरक्षा बलों को काफी मदद मिल जाती है।
केंद्रीय गृह मंत्री का मानना है कि केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के कारण आतंकवादी घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सका है। उन्होंने विभिन्न एजेंसियों के बीच एक प्रशिक्षण प्रणाली पर भी जोर दिया। लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि आतंकी संगठन अपनी युद्ध नीति में भी बदलाव करते रहते हैं। इसलिए एजेंसियों को उनकी दिनचर्या से जुड़ी सूचनाओं पर भी नजर रखनी होगी।
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