रिमांड पर संजय
आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के राज्य सभा सांसद संजय सिंह को प्रवर्त्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया हुआ है।
रिमांड पर संजय |
वे इस आरोप में पांच दिनों के रिमांड पर हैं कि उन्होंने दिनेश अरोड़ा नामक व्यक्ति को दिल्ली की आबकारी नीति से फायदा पहुंचाने के लिए तब के विभागीय मंत्री मनीष सिसोदिया से मिलवाया था। अरोड़ा ने उन्हें दो करोड़ रुपये बतौर घूस दिए थे।
इस वाकयात का एक मात्र गवाह वह अरोड़ा खुद है-जो सरकारी गवाह है। अब इस स्थिति में वह ईडी को जो बता रहा है, उस पर कितना भरोसा किया जा सकता है? यह सवाल जब न्यायालय करे तो इसमें एक नजरअंदाज न किया जा सकने वाला तथ्य नजर आता है।
हालांकि यह सवाल संजय सिंह मामले में नहीं बल्कि इसी मामले में गिरफ्तार और महीनों से जेल में बंद तात्कालीन आबकारी मंत्री सिसौदिया के केस में ईडी से किया गया था। दोनों ही मामलों में गवाह एक ही है-दिनेश अरोड़ा। इसके अलावा, ईडी के पास इस मामले में और कोई सबूत नहीं है, उसके जवाब से कम से कम यही जाहिर होता है। इस पर और सबूत जुटाने की बात कही गई है। संजय सिंह मामले में दो सहयोगियों से आमने-सामने की पूछताछ का निर्णय इसकी एक ठोस उत्तर हो सकता है।
यह पता नहीं है कि इन दोनों ने रित लेने के मामले में ईडी को ठोस साक्ष्य दिए या नहीं। इससे यही लगा कि ईडी जांच में ठोस सबूत लाने की कोशिश कर रही है। यह प्रगति मानी जाएगी। अगर आरोप हैं तो उन्हें तार्किक परिणति तक पहुंचाना एजेंसी की जवाबदेही है। पर जिस तरह से सिसोदिया, जो कि इस मामले में मुख्य आरोपित हैं, जब उनके विरुद्ध ही सबूत ‘लचर’ हैं तो फिर संजय सिंह के नेट में आने की संभावना कमजोर हो जाती है।
उनका कहना है कि वे तो मंत्री भी नहीं थे। तो क्या वे मनीष का मैसेंजर भर थे? संजय सिंह ही नहीं, आप का आरोप है कि वे संसद में नरेन्द्र मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों की मुखालफत का दंश झेल रहे हैं, लेकिन वे ‘डरने वाले’ नहीं हैं। उनका यह भी आरोप है कि ईडी मोदी के इशारे पर फंसा रहा है। मामला तफ्तीश के शुरुआती स्टेज में है। पर सिसोदिया प्रकरण में न्यायालय के सवालों से उन्हें राहत की एक उम्मीद दिख रही होगी।
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