गिनती की सियासत

Last Updated 05 Oct 2023 01:44:35 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narandra Modi) ने बिहार में जातीय जनगणना जारी होने के बाद कांग्रेस के ‘जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी भागीदारी’ के बयान पर कहा है कि कांग्रेस देश के हिन्दुओं और गरीबों को बांटने का कुचक्र रच रही है।


गिनती की सियासत

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में भाजपा की परिवर्तन रैली को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे बड़ी जाति गरीब की है, और अगर उसका भला हो गया तो देश का भला हो जाएगा। भारत के संसाधनों पर पहला हक करीब का है, चाहे वह दलित, पिछड़ा या फिर सामान्य वर्ग से ही क्यों न हो। गरीब के जीवन में बदलाव होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस यह नई मांग करके देश के लोगों के बीच खाई को बढ़ाने और उनके बीच बैर बढ़ाने की कोशिश कर रही है। दरअसल, पिछले दिनों बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के जो आंकड़े जारी किए हैं, उन्हें विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ मास्टरस्ट्रोक मान रहा है।

उसे लगता है कि इससे पिछड़े वगरे को लामबंद करके सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन को कड़ी चुनौती पेश की जा सकती है। आने वाले दिनों में पांच राज्यों में असेंबली चुनाव और उसके बाद अगले साल लोक सभा के चुनाव होने हैं, और विपक्ष एकजुट होकर केंद्र में सत्तारूढ़ मजबूत भाजपा को कड़ी चुनौती देना चाहता है।

भाजपा-नीत गठबंधन को लगता था कि विपक्षी दल अपना नेता चुनने में ही इतने उलझ जाएंगे कि उनका एका नतीजाकुन नहीं होगा। लेकिन सीटों के बंटवारे और नेता के चुनाव को लेकर हठधर्मिता न दिखाने का जो रुख विपक्षी गठबंधन में दिखा है, उससे भाजपा में चिंता है और अब जिस तरह जातीय जनगणना के आंकड़े बिहार सरकार ने जारी किए हैं, और उत्तर प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बड़े राज्य से भी जातीय जनगणना कराए जाने की मांग उठी है, उससे भाजपा-नीत गठबंधन बेशक, असहज हुआ है।

अब जिस तरह से विपक्ष की पार्टियां समूचे देश में जातिवार जनगणना की मांग करने लगीं हैं, उससे लगने लगा है कि सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच मुकाबला तीखा रहने वाला है। विपक्ष की अनेक पार्टियां कह रही हैं कि जातिवार जनगणना से ही दलित और पिछड़ों को संविधानगत अधिकार मिलने सुनिश्चित हो सकेंगे। बेशक, जातीय जनगणना के मुद्दे के चलते देश की राजनीति नई करवट लेती दिखलाई पड़ रही है। लेकिन इससे भाजपा को नुकसान की सोचना बेमानी है क्योंकि मंडल आयोग की सिफारिशें आने के बाद से ही भाजपा का खासा विस्तार हुआ है।



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