साख पर बट्टा
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की टीम ने एक न्यूज वेबसाइट के दफ्तर में छापेमारी करके संपादक समेत दो लोगों को यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया।
साख पर बट्टा |
यूएपीए यानी कठोर गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धाराएं 13, 16, 17, 18 और 22 के अलावा 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना तथा सद्भाव बनाए रखने के प्रतिकूल कार्य करना) धारा 120 (आपराधिक साजिश में शामिल होना) जैसी कठोर धाराएं उन पर लगाई गई हैं। उनके मोबाइल-लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त कर लिए गए और दफ्तर में ताला जड़ दिया है।
न्यूजक्लिक नाम की इस वेबसाइट के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और प्रशासक अमित चक्रवर्ती गिरफ्तार हुए हैं। इससे पहले चीन से फंडिंग के आरोप में ईडी भी इन दफ्तरों में वित्त पोषण के स्रेतों की जांच के तहत छापा मार चुकी है। अगस्त में दर्ज किए मामले में सैंतीस पुरुषों और नौ महिलाओं के ठिकानों पर भी छापेमारी और पूछताछ हुई। इनमें वेबसाइट के पूर्व और वर्तमान पत्रकार, लेखक और कर्मचारी शामिल हैं।
मुंबईवासी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ से भी पूछताछ की गई तथा दिल्ली पुलिस ने उनके निवास पर छापेमारी की। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच का हवाला देते हुए दावा कर चुके हैं कि न्यूजक्लिक के धन लेन-देन की जांच से भारत विरोधी एजेंडे का पता चला है।
दुनिया जिस वक्त विकीलीक के मार्फत अपनी खोजी पत्रकारिता से दुनिया को हिलाने वाले जूलियन असांचे को जेलमुक्त करने की मुहिम में एकजुट हो रही है, उसी समय अपने यहां स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता को लेकर संकट बढ़ता जा रहा है। गुटबाजी और पक्षपाती खबरों का बोलबाला है।
पेड न्यूज यानी धन के बल पर खबरों का चयन/प्रसार बढ़ता जा रहा है। परंतु इस बात पर भी विचार करना जरूरी है कि पत्रकारों की जान जोखिम में रहती है। यह कौम कभी जान देकर कीमत चुकाती है तो कभी सरकारों की आंखों की किरकिरी बनने के चलते सलाखों के पीछे नजर आती है।
प्रेस की भूमिका सूचना देना है, न्याय करना या फैसले जारी करना नहीं। अपनी साख और जिम्मेदारियों को मीडिया दरकिनार नहीं सकता, न ही सरकारें गैर-वाजिब तरीकों से उसकी बाजू मरोड़ सकती हैं।
Tweet |