महिलाओं के भरोसे तरक्की
हमारा देश शुरू से ही पुरुष प्रधान है, लेकिन जब से हमारी सरकारी बनी है। खेल के मैदान से लेकर राफेल उड़ाने तक महिलाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है।
महिलाओं के भरोसे तरक्की |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यह कहा। वे ‘नारी शक्ति वंदन’ कार्यक्रम में पांच हजार महिलाओं को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा तीन दशकों से यह कानून लटका हुआ था। आपकी ही ताकत है कि ऐसी-ऐसी पार्टियों को समर्थन में आना पड़ा, जो पहले इसका विरोध करते नहीं थकती थीं। उन्होंने कहा कि महिलाएं आज देश की तरक्की में भागीदारी निभा रही हैं। अपने हुनर से इलाके में पहचान बना रही हैं।
क्रिकेट के जरिए भारत के दुनिया से जुड़ने की भी बात उन्होंने की। एक शिव शक्ति का स्थान चंद्रमा पर दूसरा काशी को बताते हुए उन्होंने चंद्रयान के लैंड होने का एक माह पूरा होने की चर्चा भी की। कुछ ही दिन पहले मोदी अपने संबोधन में कह चुके हैं कि महिलाएं समृद्ध होती हैं तो दुनिया समृद्ध होती है। जैसा कि उन्होंने मुद्रा योजना की बात की, जिसके तहत 70 फीसद महिलाओं ने ऋण लिए। एक अन्य योजना स्टैंड-अप के तहत भी 80 फीसद लाभार्थी महिलाएं हैं जो छोटे-छोटे रोजगार के माध्यम से अच्छी कमाई कर रही हैं। हालांकि देश में कामगार महिलाओं की संख्या अभी भी सीमित है।
बुनियादी रूप से इसमें सामाजिक/पारिवारिक कारण आड़े आते हैं। खासकर मजदूरिनों या कृषि कार्यों में जुड़ी श्रमिकों की संख्या में बीते साल काफी गिरावट दर्ज की गई। यह सच है कि नई लड़कियां पढ़ रही हैं और आर्थिक रूप से मजबूत होती जा रही हैं, परंतु यह स्याह सत्य झुठलाया नहीं जा सकता कि नौकरियों का संकट है और बेरोजगारी थम नहीं रही। ऐसे में संघषर्शील महिलाएं जोखिम लेकर सरकारी योजनाओं की मदद से लघु रोजगारों में हाथ आजमा रही हैं।
अपने पुरुष प्रधान समाज में खास तब्दीली अभी नहीं आनी। आरक्षण का लाभ भी महिलाओं को तुरंत मिलने नहीं जा रहा। अभी इस पर राजनीति हावी रहेगी। नि:संदेह मोदी सरकार इसका पूरा श्रेय आने वाले चुनाव में लेने से नहीं चूकने वाली। महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या पर सबकी कड़ी नजर है। वक्त बताएगा कि सशक्त हो रही महिलाएं अपने विवेक का कितना इस्तेमाल करती हैं और कितना लोक-लुभावन वादों की तरफ झुकती हैं।
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