फाइनल करें महिला कोटा

Last Updated 19 Sep 2023 01:45:25 PM IST

लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई महिला आरक्षण सुनिश्चित करने की पुरानी मांग अब नई संसद के समक्ष है।


फाइनल करें महिला कोटा

पुरानी संसद, जो अपने अमृत काल, को प्राप्त कर एक शानदार अतीत का हिस्सा बन कर रह जाएगी, वहीं राज्यसभा में नौ मार्च 2010 को आधी आबादी को उसका हक दिलाने के लिए एक विधयेक पारित किया गया था। वह भी अनेक दौर के भारी हो-हंगामे और कितने स्थगनों के बाद।

अब जब संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है तो इसमें भी महिला आरक्षण पर अंतिम मुहर लगाने की मांग जोर-शोर से की जा रही है। यह मुद्दा रविवार को सर्वदलीय बैठक में उठाई गई थी, उसे विपक्षी सांसदों ने सोमवार को उद्घाटन सत्र में भी उठाया। सरकार की तरफ से लोकसभा में इस पर चर्चा कराने या विधेयक को पारित कराने का कोई आासन नहीं दिया गया है। हालांकि राज्यसभा में पारित होने से यह विधेयक अभी जिंदा है।

लोकसभा से उसे पारित करने का काम बचा हुआ है। यह कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय हुआ था, जिसमें सोनिया गांधी की एक अहम भूमिका थी। तब से दो लोकसभाएं बीत गईं और अब तीसरी की अवधि भी बीतने की है। इसलिए कांग्रेस और उसकी अगुवाई वाला ‘इंडिया’ इस पर जोर दे रहा है। संभव है कि ऐसा कर उसका इरादा आम चुनाव में अपना चेहरा महिलाओं की अव्वल हिमायती पार्टी देखे जाने का हो, लेकिन अगर नरेन्द्र मोदी सरकार इस विधेयक को पारित करने का विचार करती है, तो इसका राजनीतिक फायदा उन्हें भी कम नहीं मिलेगा।

बराबरी का राजनीतिक परिदृश्य बनाने का यह बेहतर अवसर है। इसलिए कि देश की मौजूदा परिस्थितियां महिलाओं की इस आकांक्षा के लिहाज से काफी उर्वर हैं। भारत दशकों पहले से देश के सर्वोच्च पदों पर महिलाओं को बिठाने का गौरव हासिल करता रहा है। अब तो यह ग्रासरूट तक पहुंच गया है।

पंचायतों और स्थानीय नगर निकायों में आरक्षित की गई एक तिहाई सीटों के सकारात्मक परिणाम आए हैं। बिहार तो 50 फीसद सीटें आरक्षित करने वाला पहला और मानक राज्य हो गया। बाद में कई राज्यों ने इसकी पहल की। तो मोदी सरकार के लिए इस पर विचार करने का दबाव अपने घटक-समर्थक दलों के भीतर से भी है। आरएसएस ने तो शनिवार को बाकायदा इस बारे में एक प्रस्ताव भी पारित किया है।



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