कार्यसमिति का संदेश

Last Updated 18 Sep 2023 01:55:11 PM IST

कांग्रेस की पुनर्गठित कार्यसमिति (CWC) की शनिवार को पहली बैठक में अगले साल के लोक सभा और इस वर्ष पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति, संगठन तथा कई अन्य विषयों पर मंथन किया गया।


कार्यसमिति का संदेश

 कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर हिंसा, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों में सांप्रदायिक तनाव की हालिया घटनाओं का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि देश गंभीर आंतरिक चुनौतियों से घिरा है, और भाजपा आग में घी डालने का काम कर रही है। अपने शुरुआती संबोधन में खड़गे ने संसद के विशेष सत्र को लेकर दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी ‘विपक्ष विहीन’ संसद चाहती है। उसकी इस मंशा से सतर्क रहना होगा। दरअसल, लोकतंत्र की जीवंतता के लिए जरूरी है कि विपक्ष मजबूत हो।

सही मायनों में विपक्ष ही होता है जो सत्ताधारियों पर अंकुश रखता है कि वे निरंकुश न होने पाएं। विपक्ष की मजबूती के लिए जरूरी है कि सत्तारूढ़ सरकार उसकी शंकाओं और सवालों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए ध्यान दे कि विपक्ष जो मुद्दे उठा रहा है, जो सवाल कर रहा है कि वे कितने ठोस और वाजिब हैं। यदि ये सत्ताधारी इतनी संवेदनशीलता नहीं दिखाते तो यकीनन उनके निरंकुश होने की आशंका पैदा हो जाती है। कांग्रेस-मुक्त भारत की बात कहकर पहले ही इस शंका को बलवती कर दिया गया था।

सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच यदि इस प्रकार का आशंका पैदा होती है, तो यह लोकतांत्रिक तकाजों की अनदेखी के हालात पैदा करने की दिशा में बढ़ चलने जैसा होगा। संसद में विपक्ष की आवाज न हो और विपक्ष निस्तेज हो गया हो तो यह स्थिति जीवंत लोकतंत्र के लिए किसी भी सूरत में सुखद नहीं है। एक समय था जब भारत की संसद में मजबूत विपक्ष था और मंत्रियों को पूरी तैयारी के साथ सदन में पहुंचने की ताकीद एक प्रधानमंत्री स्थायी रूप से दिए रहती थीं।

मंत्रियों की जान सांसत में रहती थी कि विपक्षी सदस्य कहीं उन्हें मुश्किल में तो नहीं डाल देंगे। वे पूरी तैयारी से आने के बावजूद घबराए रहते थे। यह स्थिति किसी भी लिहाज से गलत नहीं ठहराई जा सकती क्योंकि विपक्ष अपनी उपादेयता साबित कर रहा होता था। संसद का विशेष सत्र आहूत किए जाने पर संभवत: कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को लगा कि सरकार संसद को विपक्ष विहीन करने की दिशा में अग्रसर है, लेकिन ऐसा मुमकिन इसलिए नहीं क्योंकि पक्ष-विपक्ष की आवाज, दोनों ही असर करती हैं। इसी से सत्ताधारी निरंकुश नहीं होने पाते।



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