सनातन चुनावी मुद्दा
सनातन (Sanatan) अब पुख्ता तौर पर एक चुनावी मुद्दा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बीना में इसको जिस तरह से प्रमुखता दी, उसे देखते हुए यह और भी स्पष्ट हो गया है।
सनातन चुनावी मुद्दा |
वे वहां पेट्रोलकेमिकल्स कॉम्पलेक्स (Petrochemicals Complex) की आधारशिला रखने गए थे। मध्य प्रदेश उन कुछ राज्यों में शामिल है, जहां वष्रात तक विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले महीने भोपाल की सभा से प्रधानमंत्री चुनाव का शंखनाद कर चुके हैं। सूबे के साथ देश को उम्मीद रही होगी कि वे जी-20, जिसे अब जी-21 बनाने का उन्हें यश प्राप्त है, उसके बेमिसाल आयोजन पर बोलेंगे। पर उन्हें मालूम है कि मध्य प्रदेश जैसे ध्रुवीकृत मतदाताओं वाले राज्य में यह मुद्दा नहीं चलेगा।
यहां सनातन विरोधियों पर और विपक्षी ‘इंडिया’, जिसे कुछ लोग ‘घमंडिया’ भी कहते हैं, उन पर हमला ही नतीजा देगा। प्रधानमंत्री इन्हें देश-समाज को बांटने वाला बताते हैं। इसलिए कि तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन का उन्मूलन कर एक समतामूलक समाज की स्थापना की बात कही थी। उनके दल के कई नेताओं ने भी इसे दोहराया था, इस पर वे लोग अभी भी कायम हैं। चूंकि द्रमुक ‘इंडिया’ का खास घटक है, इसके बावजूद उसके नेताओं के द्वेषपूर्ण और सनातनी हिन्दुओं पर चोट पहुंचाने वाले बयान पर कांग्रेस का तीखी निंदा नहीं करने और उदयनिधि से माफी नहीं दिलाने पर भाजपा में बहुत रोष है।
द्रमुक का तो वोट बैंक ही बहुसंख्यक हिन्दू के स्थायी विरोध पर टिका है। वह दशक बाद प्रदेश की राजनीति में लौटा ही है, इन्हीं कट्टर विरोधी मतों के जरिए। पर वह ‘इंडिया’ पर भाजपा के हमले का आसान हथियार बन रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से इस पर नरम प्रतिक्रिया हिन्दी पट्टी में उसके नतीजे को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। तमिलनाडु में तो द्रमुक का कुछ बिगड़ने नहीं जा रहा है, पर वह चुनावी राज्यों में ‘इंडिया’ की संभावनाओं का बंटाधार कर सकती है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने हैं, जहां ‘इंडिया’ भाजपा से सीधे मुकाबले की तैयारी में है। अभी पिछले ही दिन, इसने मध्य प्रदेश में हरेक 15 दिनों पर गठबंधन के नेताओं की रैली निकालने का कार्यक्रम घोषित किया है। वहां सीटें साझा करने का फामरूला भले तय नहीं है लेकिन इसे लेकर उसमें कोई दुविधा नहीं है। वह सनातन को लेकर भी बहुत फिक्रमंद नहीं लगता।
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