निपाह की चेतावनी
केरल (Kerala) के कोझिकोड में निपाह वायरस (Nipah Virus) ने दो लोगों की जान ले ली। नौ वर्ष के लड़के समेत दो अन्य मरीज भी मिले हैं।
निपाह की चेतावनी |
मृतकों के सैंपल जांच के लिए पुणो के नैशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ वायरोलॉजी भेज दिए गए हैं। केरल में आनन-फानन में कंट्रोल रूम बना दिया गया है। साथ ही, स्वास्थ्यकर्मियों को क्षेत्र में कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक पोस्ट के जरिए निपाह वायरस से हुई मौतों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने वायरस से निपटने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम तत्काल केरल के लिए रवाना कर दी।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा स्थिति की गंभीरता पर त्वरित सक्रियता से समझा जा सकता है कि सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। यकीनन सरकार ने संक्रमण को घातक तौर पर फैलने से बचने की सकारात्मक पहल की है। 2018 में भी राज्य के कोझिकोड समेत मलप्पुरम जिले में फेफड़ों और मस्तिष्क को चपेट में लेने वाले इस संक्रमण से सत्रह लोगों की मौत हो चुकी है। विशषज्ञों के अनुसार यह वायरस चमगादड़ों और सुअरों से इंसान में फैलता है। चूंकि अब तक इसका कोई इलाज या टीका मौजूद नहीं है, इसलिए इससे मरने वालों की दर बहुत है।
चमगादड़ कई अन्य वायरस भी फैलाते हैं, जिनमें रेबीज और इबोला भी शामिल पाए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मलयेशिया के सुंगईनिपाह गांव में 1998 में इस वायरस का पहली बार पता चला। उसी गांव के नाम पर इसका नामकरण कर दिया गया। वहां कुत्ते, बिल्ली, घोड़ों और बकरी जैसे पालतू जानवरों में भी यह फैलता चला गया। ऐसे संक्रमित शख्स से दूसरों में यह रोग तेजी से फैलता है। वायरल बुखार के साथ, खांसी, गले में खराश, मितली, वमन-दस्त, बदन में मरोड़ आदि इसके लक्षण बताए गए हैं।
कोविड-19 महामारी की तबाही झेल चुका अपना देश व दुनिया अब किसी भी संक्रमण को लेकर काफी सतर्क हो गई है। हालांकि खांसी, जुकाम, बुखार जैसी आम दिक्कतें मौसम तब्दील होते ही वायरल होने लगती हैं। मगर पर्याप्त सतर्कता बरती जाए और जनता को लगातार चेतावनी दी जाए तो ऐसे किसी भी खतरे से बा-खबर रहा जा सकता है। कोविड के खौफनाक अनुभवों और उससे मिली सीख को हमें भूलना नहीं है। और सावधान रहना है। किसी तरह की दहशत फैलाए बगैर हमें निचले स्तर तक सावधान रहने का निर्देश देना शुरू कर देना चाहिए। सावधानी ही सुरक्षा है।
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