राजनीति के गलियारे में बीहड़ की एक और सुंदरी!

Last Updated 28 Sep 2012 08:59:04 PM IST

कुख्यात दस्यु सुंदरी फूलन देवी के बाद एक और दस्यु सुंदरी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने आ रही हैं.


समाजवादी पार्टी में आने की इच्छा (फाइल फोटो)

हालात की मारी चंबल घाटी की कुख्यात दस्यु सुंदरी फूलन देवी की तरह दूसरी दस्यु सुंदरियां भी राजनीति मे आने के लिए लालायित नजर आ रही हैं. इसी कड़ी में ताजा नाम रेनू यादव का जुड़ने जा रहा है.

रेनू यादव चंबल घाटी में अपने आतंक और खूबसूरती के कारण खासी चर्चा में रही हैं लेकिन अब समाजवादी पार्टी के जरिए राजनीति में आने का सपना देख रही हैं.

उत्तर प्रदेश के कैबनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव से मिलने के लिए शुक्रवार को सैफई पहुंची पूर्व दस्यु सुन्दरी रेनू यादव को देखने के लिए लोगों का तॉता लग गया. हर कोई उसकी एक झलक पाने को बेताब रहा.

जींस पेन्ट और शर्ट पहने सैफई पहुंची पूर्व दस्यु सुन्दरी रेनू यादव ने बातचीत में कहा कि उसे दस्यु सुन्दरी बनाने वाली पुलिस है.

उन्होंने कहा कि पुलिस मुझे बदमाशों के चंगुल से आजाद तो करा नहीं सकी बल्कि उसे दस्यु सुन्दरी बना दिया जबकि न्याय पालिका ने मुझे पूरी राहत दी और मेरे साथ न्याय किया.

 29 नबम्बर 2003 को स्कूल जाते समय रेनू यादव को दस्यु चन्दन यादव ने अपहरण कर लिया था. उसके पिता ने पुलिस से उसे छुड़ाने के लिए गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं की.



रेनू यादव का मानना है कि आज समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद हर किसी को न्याय की आस बंधी है ऐसे में उन्हें भी उम्मीद है कि जरूर न्याय मिलेगी.

मालूम हो कि 29 नबम्बर 2003 को स्कूल जाते समय रेनू यादव को दस्यु चन्दन यादव ने अपहरण कर लिया था. उसके पिता ने पुलिस से उसे छुड़ाने के लिए गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं की.

दूसरी तरफ अपहरण के बाद फिरौती के लिए रेनू को डकैतों के प्रताड़न और उत्पीड़न की शिकार होना पड़ा. इतना ही नहीं पुलिस की सूची में उसका नाम भी गिरोह में शामिल कर दिया गया.

रेनू का कहना है कि पुलिस ने भी अपनी नाकामी छिपाने के लिए मुझे भी गैंग का सदस्य मानकर मुझे दस्यु सुन्दरी का खिताब दे डाला.

रेनू यादव ने घटना को याद करते हुए कहा कि 4 जून 2005 को दस्यु चन्दन यादव और दस्यु रामवीर गुर्जर की मुठभेड़ में चन्दन यादव के मारे जाने के बाद दस्यु रामवीर गुर्जर ने मुझे और गैंग को बन्धक बना लिया और मुझे अपनी बदनियती का शिकार बनाने की कोशिश की तो मैंने अपनी इज्जत बचाने के लिए मौत की घाट उतार दी और मौका पाकर वहं से भाग निकली.

वहीं इस घटना के बाद रामवीर गुर्जर ने हमारे गैंग के तीन सदस्यों को लाइन में खड़ा कर हत्या कर दी थी. सात दिन तक मैं बीहड़ में भटकने के बाद अपने गांव जमालीपुर आ गयी और गांव में रहने लगी तो तत्कालीन एसएसपी दलजीत सिंह चौधरी इटावा ने कोतवाली प्रभारी और एसओजी प्रभारी ने मुझे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

तब से मैं जेल में रहकर अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए विभिन्न जनपद न्यायालयों के चक्कर लगाती रही और कई जेलों में रही.

रेनू यादव ने माना कि हर इंसान को भगवान और न्याय पालिका पर पूरा भरोसा करना चाहिए कहीं न्यायलयों ने तो पुलिस को कड़ी फटकार लगाकर मेरे अपहरण और वरामदगी पर फटकार लगायी और ससम्मान दोषमुक्त कर दिया.

29 मई 2012 को सात वर्ष तीन माह 15 दिन की अदालती कार्यवाही झेलने के बाद मैं नारी बन्दी निकेतन लखनऊ से रिहा की गयी.

मालूम हो कि इटावा और औरैया पुलिस के रिकार्ड के अनुसार रेनू यादव का नाम डाकू सूची में आज भी दर्ज हैं. रेनू यादव के खिलाफ दोनों जिलों मे करीब 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमे पुलिस मुठभेड के साथ आगजनी, हत्या के प्रयास के अलावा लूट जैसे वारदातों को अंजाम देने जैसे मामले हैं.



 



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