देश और धर्म को समर्पित होता है संत का जीवन : CM योगी

Last Updated 02 Oct 2023 06:37:00 PM IST

गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक संत का अपना व्यक्तिगत जीवन नहीं होता। वह देश व धर्म के लिए समर्पित होता है। देश और समाज की आवश्यकता ही संत की प्राथमिकता होती है। महंत दिग्विजयनाथ जी ऐसे ही संत थे। उन्होंने अपने समय की चुनौतियों के लिए संघर्ष किया।


देश और धर्म को समर्पित होता है संत का जीवन : CM योगी

मुख्यमंत्री योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 54वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 9वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धाजंलि समारोह के अंतर्गत सोमवार को अपनी बातें कह रहे थे।

उन्होंने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी का संबंध राजस्थान के मेवाड़ के उस राणा कुल से है, जिसने देश के स्वाभिमान के लिए लड़ते हुए अपना जीवन मातृभूमि को समर्पित कर दिया। उन्होंने यहां पर अनेक धार्मिक राजनीतिक अनुष्ठानों से जुड़कर समाज के लिए कुछ नया करने का प्रयास किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों के आश्रमों में विज्ञान के शोध होते थे इसलिए राक्षसगण उस पर आक्रमण करते थे। महंत दिग्विजयनाथ जी ने गोरक्षपीठ से जुड़कर सबसे पहले शिक्षा पर जोर देते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। युवा पीढ़ी राष्ट्रभावना से ओत प्रोत हो, इसके लिए उन्होंने अपने संस्थानों का विस्तार किया। उनके द्वारा स्थापित शिक्षा परिषद एक विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान देने के साथ एक अपना विश्वविद्यालय स्थापित कर चुका है।

योगी ने कहा कि यह एक नया भारत है। इसमें नेतृत्व का ही नहीं, हम सभी का दायित्व है कि हम देश के नेतृत्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। इसके लिए हमें शिक्षा पर ध्यान देना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसके लिए एक संकल्प पत्र है। महंत दिग्विजयनाथ जी न केवल शिक्षा में ही अपितु राजनीति के जरिए राष्ट्र के अभियान से जुड़े। उन्होंने बिखरे हुए नाथ योगियो को संगठित करने के लिए योगी महासभा का गठन किया।

सीएम ने कहा कि अपने पूर्वजों के लिए हम भारतीय पूरे 15 दिन कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। इसलिए हमसे अच्छा अपने महापुरुषों के प्रति भाव को कौन समझ सकता है।

जगद्गुरु रामानंदाचार्य डॉ. राजकमल दास वेदांती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं महंत अवद्यनाथ जी महाराज, दोनों ही योग्य गुरु रहे। किसी व्यक्ति में योग्यता देखते ही पहचान लेते थे।

अयोध्या से पधारे महंत कमलनयन दास जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी ने रामजन्म भूमि तथा हिंदुत्व के लिए आगे आकर नेतृत्व किया। आज उनके संकल्प तथा तपस्या के फलस्वरुप प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। यह उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।

जूनागढ़ गुजरात से पधारे महंत शेरनाथ बापू जी ने कहा कि पूज्य महंतद्वय ने शिक्षा तथा चिकित्सा के माध्यम से समाज में अदभुत योगदान दिया। जबलपुर से पधारे महंत नरसिंह दास जी महाराज ने कहा कि जिस दिन राजसत्ता के शिखर पर धर्म सत्ता बैठेगी उसी दिन भारत विश्व गुरु बन जाएगा।

आईएएनएस
गोरखपुर


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