उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भाजपा के पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी रोष है।
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उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भाजपा के पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी रोष है। भाजपा पहले ही 300 बागी उम्मीदवारों को निष्कासित कर चुकी है, जिन्होंने पार्टी नेताओं के समझाने के बावजूद अपना नाम वापस लेने से इनकार कर दिया था। मिजार्पुर, लखीमपुर, गोना, उन्नाव, फतेहपुर और वाराणसी से पार्टी नेताओं को निष्कासित किया गया है।
सपा में फरु खाबाद के अमृतपुर से छह बार के विधायक नरेंद्र सिंह यादव सोमवार को अपनी बेटी मोना यादव, जो जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, और बेटे सचिन यादव के साथ भाजपा में शामिल हो गए।
संभल से सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क संभल नगरपालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार के चयन को लेकर पार्टी नेतृत्व के प्रति अपनी बढ़ती नाराजगी को सार्वजनिक तौर पर आवाज देते रहे हैं। स्थानीय विधायक इकबाल महमूद बर्क की पत्नी रुखसाना महमूद ने भी घोषणा की है कि वह उनकी जगह निर्दलीय उम्मीदवार फरहान सैफी को समर्थन देंगी।
हाल ही में, दिग्गज राजनेता ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती की तारीफों के पुल बांधे थे। बार्क ने मायावती को एक राजनीतिक शख्सियत बताते हुए कहा कि देश को उनके जैसी नेता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक मुसलमान के तौर पर वह उनका समर्थन करते हैं।
चार बार के विधायक और पांच बार के सांसद बर्क ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले सपा से पाला बदल लिया था, बसपा में शामिल हो गए और चुनाव जीत गए। हालांकि, 2019 के चुनावों में, वह सपा के पाले में लौट आए। वर्तमान में संभल से पार्टी के मौजूदा सांसद हैं।
इसी तरह, बलिया में पार्टी विधायक मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने सिकंदरपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए दिनेश चौधरी को आधिकारिक सपा उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार भीष्म यादव को समर्थन देने की घोषणा की है।
बलिया में ही नगर परिषद अध्यक्ष पद के लिए पार्टी की पसंद का उम्मीदवार नहीं मानने पर पार्टी नेतृत्व को चार नेताओं को निष्कासित करना पड़ा। पार्टी नेता संजय उपाध्याय द्वारा लक्ष्मण गुप्ता को नामांकित किए जाने के बावजूद पद के लिए अपनी उम्मीदवारी दाखिल करने पर सपा नेतृत्व ने उन्हें छह साल की अवधि के लिए बर्खास्त कर दिया। उनके तीन समर्थकों को भी एक साल के लिए पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया।
पारसनाथ को रायबरेली नगर पालिका के उम्मीदवार के रूप में नामित करने के बाद पार्टी खुद को मुश्किल स्थिति में पा रही है।
इसके तुरंत बाद दूसरे दावेदार सपा नेता मोहम्मद इलियास ने अपने समर्थकों समेत कांग्रेस का दामन थाम लिया।
शाहजहांपुर में सपा को बड़ी शर्मिदगी का सामना करना पड़ा, जब चार बार के विधायक और दो बार के सांसद स्वर्गीय राममूर्ति सिंह वर्मा की बहू अर्चना वर्मा, शाहजहांपुर नगर निगम के पद के लिए पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार घोषित होने के बावजूद, पाला बदल लिया। भाजपा और भगवा पार्टी के उम्मीदवार के रूप में महापौर पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, राजनीतिक क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति रखने वाली पार्टियों को अक्सर ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि चुनाव में एक सीट के लिए कई उम्मीदवार होते हैं। यूपी में जिन पार्टियों के पास कोई जमीन नहीं बची है, उनमें आपको ऐसी कोई समस्या कभी नहीं दिखेगी।
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