उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। सभापति के खिलाफ राज्यसभा में विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। उपराष्ट्रपति ने अपने खिलाफ लाए गए नोटिस पर पहली बार टिप्पणी की है। उन्होंने मंगलवार को कहा, “उपराष्ट्रपति के खिलाफ दिए गए नोटिस को देखिए। उसमें दिए गए छह लिंक को देखिए। आप हैरान हो जाएंगे। चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था, ‘सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करें।’ यह नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, यह तो जंग लगा हुआ चाकू था।
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उपराष्ट्रपति ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कहा कि इसमें जल्दबाजी की गई। जब मैंने इसे पढ़ा तो स्तब्ध रह गया। धनखड़ ने कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह नोटिस क्यों दिया गया। किसी भी संवैधानिक पद को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्शों और संवैधानिकता से पुष्ट किया जाना चाहिए। हम यहां हिसाब बराबर करने के लिए नहीं हैं। जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का मामला उठा, तब सदन के नेता पीयूष गोयल ने यह मुद्दा उठाया। मैंने इसे तय किया। वे यह पचा नहीं पाए कि सभापति ने ऐसा फैसला कैसे किया।"
धनखड़ ने कहा कि अभिव्यक्ति का अधिकार लोकतंत्र की परिभाषा है। उन्होंने कहा, “यदि अभिव्यक्ति को सीमित, बाधित या दबाव में किया जाए, तो लोकतांत्रिक मूल्य दोषपूर्ण हो जाते हैं। यह लोकतंत्र के विकास के लिए प्रतिकूल है।”
उन्होंने संवाद के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “आप अपनी आवाज का उपयोग करने से पहले, अपने कानों को दूसरे के दृष्टिकोण को सुनने दें। इन दोनों तत्वों के बिना, लोकतंत्र को न तो पोषित किया जा सकता है और न ही इसे फलने-फूलने दिया जा सकता है।”
चेतावनी देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ मैंने अक्सर देखा है कि यह प्रयास एक योजनाबद्ध तरीके से उन ताकतों द्वारा किए जाते हैं, जो इस देश के हितों के खिलाफ हैं। उनका उद्देश्य हमारे संवैधानिक संस्थाओं को ईंट-दर-ईंट कमजोर करना, राष्ट्रपति पद को कलंकित करना है। सोचिए, राष्ट्रपति कौन है। इस देश की पहली आदिवासी महिला जो राष्ट्रपति बनीं।”
धनखड़ ने कहा, “क्या आपने पिछले 10, 20, 30 वर्षों में किसी गंभीर बहस को देखा है। क्या संसद के पटल पर कोई बड़ी उपलब्धि देखी है। हम गलत कारणों से समाचार में हैं। जवाबदेही मीडिया द्वारा लागू की जानी चाहिए, जो लोगों तक पहुंचने का एकमात्र माध्यम है। मीडिया जनता के साथ एक रिश्ता बना सकता है और जनप्रतिनिधियों पर दबाव पैदा कर सकता है।"
उपराष्ट्रपति ने महिला आरक्षण विधेयक पर भी चर्चा की और इसे ऐतिहासिक विकास बताया।
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