मधुमेह की रोकथाम के लिए लेबलिंग नियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में IPL

Last Updated 08 Aug 2024 06:54:10 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय देश में मधुमेह और इससे संबंधित बीमारियों के प्रसार में खतरनाक वृद्धि को लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करेगा।


सर्वोच्च न्यायालय

याचिका में सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह चीनी, नमक तथा तेल की ज्यादा मात्रा और पोषक तत्वों की कम मात्रा वाले पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग के लिए नियम तैयार करे।

गैर-सरकारी संगठन '3एस एंड आवर हेल्थ सोसायटी' द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है, "भारत में मधुमेह एक साइलेंट महामारी के रूप में उभरा है, जो लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। साथ ही यह हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर एक बड़ा बोझ बन गया है। देश में, गैर-संचारी बीमारियों से हर साल 60 लाख लोगों की जान जाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि देश में हर चार में से एक व्यक्ति मधुमेह से जूझ रहा है, जिसका मुख्य कारण मोटापा है।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विभिन्न अन्य संगठन अस्वास्थ्यकर खाद्य उत्पादों की खपत कम करने के लिए मजबूत और अनिवार्य नीतिगत ढांचे की वकालत करते हैं।

याचिका में कहा गया है कि इन उपायों में आमतौर पर विज्ञापन पर प्रतिबंध या रोक तथा लेबलिंग के माध्यम से उपभोक्ता अलर्ट का कार्यान्वयन शामिल होता है।

याचिकाकर्ता ने कहा है, "फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग नागरिकों को पैकेज्ड खाद्य और पेय पदार्थों में मौजूद पोषण सामग्री और हानिकारक अवयवों को आसानी से पहचानने और समझने में सक्षम बनाता है, जिससे वे स्वस्थ विकल्प चुन सकते हैं।"

अधिवक्ता राजीव शंकर द्विवेदी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह चेतावनी लेबल प्रभावी रूप से अतिरिक्त चीनी, सोडियम, अस्वास्थ्यकर वसा और अन्य हानिकारक पदार्थों की अत्यधिक उपस्थिति का संकेत देगा।

मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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