विदेश मंत्री जयशंकर करेंगे मालदीव का दौरा, संबंधों को सुधारने पर दोनों देश कर रहे विचार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर शुक्रवार को तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मालदीव जाएंगे। पिछले साल मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू के सत्ता में आने के बाद से जारी तनावपूर्ण संबंधों को फिर से सामान्य बनाने पर दोनों देश विचार कर रहे हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू |
जून में दूसरे कार्यकाल के लिए पद संभालने के बाद जयशंकर की यह पहली मालदीव यात्रा होगी। इससे पहले उन्होंने पिछले साल जनवरी में मालदीव का दौरा किया था।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "मालदीव भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति और हमारे विजन 'सागर' यानी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास में एक महत्वपूर्ण भागीदार है। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी को मजबूत करना और द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के रास्ते तलाशना है।"
विदेश मंत्री की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह के लिए मुइज्जू की हाल की नई दिल्ली यात्रा के बाद हो रही है।
अपनी यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री जयशंकर मालदीव के राष्ट्रपति से शिष्टाचार भेंट करेंगे और मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा के लिए अपने मालदीव के समकक्ष मंत्री मूसा जमीर के साथ बातचीत भी करेंगे।
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, "दोनों मंत्री उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (एचआईसीडीपी) और भारत के एक्जिम बैंक की ऋण सुविधा के तहत पूरी हो चुकी परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और क्षमता निर्माण, वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्रों पर समझौता ज्ञापनों के आदान-प्रदान के साक्षी बनेंगे।"
मालदीव के विदेश मंत्री जमीर भी मई में नई दिल्ली आए थे। उन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार भारत की आधिकारिक यात्रा की थी। इसके बाद भारतीय सैनिकों की मालदीव से पूरी तरह वापसी हुई थी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने नौ मई को जमीर के साथ अपनी बैठक के दौरान कहा, "हमारे सहयोग ने साझा गतिविधियों, उपकरणों की आपूर्ति, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से आपके देश की सुरक्षा और कल्याण को भी बढ़ाया है। हमें अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए सहमति बनाने की जरूरत है।"
दोनों पड़ोसी देशों के बीच हाल ही में खराब हुए संबंधों के बावजूद, भारत ने मालदीव के प्रति सद्भावना के तौर पर चीनी, गेहूं, चावल, प्याज और अंडे सहित आवश्यक वस्तुओं का निर्यात जारी रखा था।
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