कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' सम्मान देने के फैसले पर 'श्रेय' लेने की मची होड़
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को भारत रत्न दिए जाने के फैसले के बाद अब इसका श्रेय लेने को लेकर राजनीतिक दलों में होड़ मची है।
कर्पूरी ठाकुर |
वैसे, भाजपा के नेता कह रहे हैं कि राजद इतने दिन सरकार में रही तो क्यों नहीं भारत रत्न दे सकी। राजद के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को कहा कि हम लंबे समय से यह मांग कर रहे थे। हमें खुशी है कि पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है। राजनीतिक तौर पर इसका प्रभाव भी दिखाई देगा।
उन्होंने कहा कि हमारी मांग पूरी हो गई है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद आबादी की जो संख्या निकलकर आई, उसके बाद ही भारत सरकार को यह निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इधर, बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के नेता नीतीश कुमार इसे जदयू की पुरानी मांग को पूरा होना जरूर बताते हैं, लेकिन इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना नहीं भूलते।
उन्होंने एक्स पर लिखा कि पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया जाना हार्दिक प्रसन्नता का विषय है। केंद्र सरकार का यह अच्छा निर्णय है। ठाकुर जी को उनकी 100वीं जयंती पर दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करेगा। हम हमेशा से ही स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते रहे हैं। वर्षों की पुरानी मांग आज पूरी हुई है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि पिछड़ों के मसीहा जननायक कर्पूरी ठाकुर को उनकी जन्मशताब्दी पर भारत रत्न देने का निर्णय कर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार व देश के करोड़ों पिछड़ों का सम्मान किया है।
उन्होंने मरणोपरांत जननायक को भारत रत्न से सम्मानित करने की केंद्र सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि 'सबका साथ, सबका विकास' के अभियान से वे कर्पूरी ठाकुर के ही सपनों को साकार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि पिछड़ा वर्ग से आने वाले मोदी ने पिछड़ों का दर्द समझा है। केंद्र सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं के केंद्र में समाज का पिछड़ा समाज ही है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में बिना किसी के नाम लिए कहा कि ये लोग तो केंद्र की सत्ता में मुख्य भूमिका में थे, तो क्यों नहीं कर्पूरी जी को यह सम्मान दिलवा सके। ये केवल अपनी राजनीति रोटी सेंकते है।
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