नीतीश की राज्यपाल से मुलाकात की ये है असली वजह !
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंगलवार को राज्यपाल से हुई मुलाकात चर्चा का विषय बन गई है।
नीतीश की राज्यपाल से मुलाकात |
राजनैतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। चर्चा यहां तक होने लगी है कि उनका मन फिर बदलने वाला है और वह शायद फिर से एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है। नीतीश कुमार ना तो पाला बदलने जा रहे हैं और ना ही वो अपनी सरकार को डिजाल्व करने का मन बना रहे हैं। उनकी राज्यपाल से क्यों मुलाक़ात हुई ? नीतीश कुमार राज्यपाल से क्या कहने गए थे? वह राजयपाल से क्या चाहते हैं ? अगर आप जानना चाहते हैं तो इस रिपोर्ट ध्यान से पढ़िए। आगे बढ़ने से पहले यहां बता दें कि किसी भी राज्य के राज्यपाल, कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते हैं, लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है, जहां वो फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं, और वह जगह है उनके राज्यों के विश्वविद्यालय, जहां के वो राज्यपाल हैं। वहां नियुक्त होने वाले कुलपतियों को अपने मन के मुताबिक़ रखने के लिए राज्यपाल स्वतंत्र होते हैं। क्योंकि वो राज्य सरकार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं। यानि अगर वो अपनी मर्जी से किसी को कुलपति नियुक्त कर देते हैं तो राज्य की सरकार कुछ भी नहीं कर सकती।
हालांकि कथित तौर पर कुलपतियों की नियुक्ति के लिए एक समिति का गठन होता है। वह समिति ही सभी आवेदकों का इंटरव्यू करके फ़ाइल राज्यपाल को भेजती है, लेकिन जितने भी नाम राज्यपाल के पास भेजे जाते हैं, उनमें से किस नाम पर मुहर लगनी है, उसका फैसला राज्यपाल को ही करना होता है। ऐसे में एक बात बड़ी आसानी से समझी जा सकती है कि एक कुलपति की नियुक्ति में राज्यपाल की क्या भूमिका होती होगी। अब रही यह बात कि आखिरकार कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर इतनी मारामारी क्यों होती है। कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर बनाई गई समिति ने सभी आवेदकों का इंटरव्यू करके फ़ाइल भेज दी तो फिर सरकार के मुखिया और सरकार के शिक्षा मंत्री को दिक्कत क्यों होती है।
सूत्रों की मानें या कथित तौर पर कहा जाता है कि एक कुलपति बनने के लिए आवेदक करोड़ों रुपयों का ऑफर देते हैं। जिसकी वजह से ये सारा प्रक्रण चल रहा है! अब बात करते हैं बिहार के विश्वविद्यालयों की। वैसे तो वहां राज्य सरकार के 20 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से इस समय सात विश्वविद्यालयों में कुलपति की जगह खाली हैं। हालंकि इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर इंटरव्यू के प्रॉसेस बहुत पहले से शुरू हो चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति की सूचि जारी नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो मंगलवार को नीतीश कुमार ने राज्यपाल से इसी सिलसिले में मुलाकात की थी।
ऐसे में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर नीतीश कुमार की बात मानें, यह जरुरी नहीं है। लेकिन राज्यपाल को भी पता है कि सरकार के असली मुखिया नीतीश कुमार ही हैं। मेरे ख्याल से मेरे दर्शकों को अब तक यह बात शयद समझ में आ गई होगी कि नीतीश कुमार मंगलवार को राजयपाल से मिलने क्यों गए थे। खैर कुछ दिनों बाद यह भी पता चल जायेगा कि बिहार के उन सात विश्वविद्यालयों में कौन कुलपति बना है लेकिन अंत तक आम लोग यह नहीं समझ पाएंगे कि कौन सा कुलपति किसकी पसंद का है।
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