ठंड से डरे चीन ने जवानों के रोटेशन नियमों में किए बदलाव
पिछली बार ठंड में गलवान घाटी में भारतीय जवानों से पिटने के बाद ड्रैगन सतर्क हो गया है। वह समझ गया है कि ठंड में उसके जवान भारतीय सुरक्षा बलों के सामने नहीं टिक पाएंगे।
ठंड से डरे चीन ने जवानों के रोटेशन नियमों में किए बदलाव |
इस बीच, गृह मंत्रालय ने अपने जवानों के रोटेशन में बदलाव कर उन्हें ऑल वेदर कंटेनर की सौगात दी है। खुफिया रिपोटरे के मुताबिक, भारतीय सुरक्षा बलों की तैयारी को देखते हुए चीन ने भी अपनी सेना में कई अहम बदलाव किए हैं। ठंड को देखते हुए उसने भी एलएसी पर जहां जवानों के रोटेशन नियमों में बदलाव किया है, वहीं, उम्र सीमा भी घटाई है।
गौरतलब है कि भारत और चीन की सेना लद्दाख में पिछले डेढ़ साल से 18 से 20 हजार फुट की ऊंचाई वाले इलाकों में बैठे हैं। ये वो इलाके हैं, जहां पहले चीन अपने सैनिकों को कभी इतने लंबे समय के लिए और इतनी बड़ी तादाद में तैनात नहीं रखता था। पिछले साल की तरह इस बार भी चीन के सैनिकों की हालत खराब न हो और ये बातें दुनिया के सामने न आएं, इसके लिए इस बार वह सैनिकों को स्वस्थ रखने और रोटेशन प्रणाली के तहत उनकी तैनाती करने पर सबसे अधिक ध्यान दे रहा है।
खुफिया रिपोटरे के मुताबिक, आमतौर पर अपने सैनिकों का रोटेट करने के लिए चीन दो प्रक्रियाएं अपनाता है। पहला है फ्रंट लाइन ट्रुप रोटेशन और दूसरा है सेकेंड लाइन से डेप्थ एरिया रोटेशन यानी फ्रंट के सैनिकों को 2-3 किलोमीटर पीछे लाना और सेकेंड लाइन के सैनिकों को ऊपर भेजना। इसके बाद सेकेंड लाइन से डेप्थ एरिया में भेजना है, जो 40 से 50 किलोमीटर पीछे होता है।
चीन आमतौर पर पिछले साल तक फ्रंट लाइन सैनिकों को 3-4 महीने में रोटेट करता था और सेकेंड लाइन से डेप्थ एरिया के लिए डेढ़ साल में करता था, लेकिन ड्रैगन ने अब इस राणनीति में बदलाव किया है। चीन अब फ्रंट लाइन की रोटेशन 2 महीने में और सेकेंड लाइन की रोटेशन एक साल में कर रहा है ताकि कम समय के लिए सैनिकों को ऊंचाई पर रहना पड़े। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि चीन को अपने सैनिकों के अस्वस्थ होने और ठंड से मरने का खतरा सता रहा है।
सूत्रों के अनुसार, चीन ने इसके लिए ज्यादा से ज्याद हेलीपैड (हेलिकाप्टर मूवमेंट के लिए) और मोबाइल ट्रांजिट कैम्प भी बना दिए है। इसके अलावा उसने लॉजिस्टिक ड्रोन्स को भी इन इलाकों में लगाया है, जो करीब 70 से 80 किलो तक वजन उठा सकते हैं ताकि सैनिकों को एक पोस्ट से दूसरे पोस्ट तक चलना ना पड़े और रसद भी आसानी से पहुंचाई जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने सैनिकों के रोटेशन के लिए उम्र का भी मापदंड बनाया है। इसके तहत फ्रंट लाइन पर सिर्फ 20-25 साल के सैनिकों को ही तैनात किया जाएगा।
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