क्रिप्टो करंसी : वैधानिक नियंत्रण और संतुलन

Last Updated 07 Oct 2024 01:22:18 PM IST

आज का युग तकनीकी तथा नवाचार का युग है। तकनीकी परिवर्तन ने क्रिप्टो करंसी के रूप में एक नया अध्याय विकासशील देशों के सामने खोल कर रख दिया है।


क्रिप्टो करंसी : वैधानिक नियंत्रण और संतुलन

भारत जैसे विकासशील देश में बड़ी संख्या में नागरिकों को इंटरनेट और मोबाइल के संपूर्ण ज्ञान की ही समझ-परख नहीं है, ऐसे में क्रिप्टो करंसी का मायाजाल अबूझ पहेली बन कर सामने आया है।   

क्रिप्टो करंसी के सिक्के के दो पहलू हैं। एक पहलू में बहुत सारे लाभ हैं, और दूसरे में आर्थिक संदर्भ में चुनौतियां या सुरक्षा अंतर्निहित हैं। क्रिप्टो करंसी डिजिटल मुद्रा है, जिसे न तो देखा जा सकता है, न ही मुद्रा की भांति जेब या पर्स में रखा जा सकता है, क्योंकि इसकी हार्ड कॉपी या मुद्रित रूप उपलब्ध ही नहीं है। भौतिक रूप से उपलब्ध न होने के कारण इसे आभासी मुद्रा कहा जाता है। यह स्वतंत्र किस्म की मुद्रा है। इसका संचालन-नियमन किसी संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता। इसे विकेंद्रीकृत मुद्रा भी कहा जाता है। यह ऐसी मुद्रा है जिसे कंप्यूटर एल्गोरिथ्म के आधार पर बनाया जाता है। कंप्यूटर में ही देखा, गिना और भुगतान किया जा सकता है।

विश्व में सबसे पहली क्रिप्टो करंसी 2009 में जापान के नाकमोतो द्वारा बनाई गई थी। वर्तमान में बाजार में 1500 से भी ज्यादा क्रिप्टो करंसी उपलब्ध हैं। क्रिप्टो करंसी काफी लोकप्रिय होती जा रही है। लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि यह गोपनीयता बनाए रखने में सहायक होती है, लेन-देन में छद्म नाम एवं पहचान बनाई जाती है। ऐसे में निजता तो लेकर अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तियों को यह व्यवस्था उपयुक्त लगती है। इसके लेन-देन में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आर्थिक बोझ कम पड़ता है जिसके लेन-देन में र्थड पार्टी के र्सटििफकेशन की आवश्यकता नहीं होती। लेन-देन में समय तथा धन की बहुत ज्यादा बचत होती है।

सामान्य बैंक खातों की तरह इसमें किसी प्रकार के कागजात की आवश्यकता भी नहीं होती। बैंकिंग प्रणाली तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन-देन पर सरकार का कड़ा नियंत्रण होता है, जबकि यह राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम के प्रत्यक्ष नियंत्रण के बाहर होने कारण लेन-देन के आदान-प्रदान का विसनीय एवं सुरक्षित माध्यम बन कर उभरी है। सरकार के पास बैंक खाते को जब्त करने का अधिकार होता है जबकि क्रिप्टो करंसी के मामले में वह ऐसा नहीं कर सकती। नोटबंदी एवं मुद्रा के अवमूल्यन का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

क्रिप्टो करंसी सीमाओं से परे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही कम लागत पर एक देश से दूसरे देश को पैसा भेजने के लिए सुगम साधन बन चुकी है। 2009 में बिटकॉइन क्रिप्टो करंसी की शुरु आत हुई थी। वर्तमान में एक बिलियन बिटकॉइन इंटरनेट के नेटवर्क में समाहित हैं तथा नये बिटकॉइन का लगातार आगमन हो रहा है। प्रत्येक बिटकॉइन का मूल्य 500 रुपये है, जो दुनिया की सबसे महंगी करंसी मानी जाती है। कुछ लोग इसे गोल्डरश के नाम से भी पुकारते हैं। 2014 से माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी सेवाओं के लिए बिटकॉइन के रूप में भुगतान लेना शुरू कर दिया। निकोसिया विविद्यालय भी विद्यार्थियों के प्रवेश शुल्क के रूप में बिटकॉइन करंसी स्वीकार करता है। 2018 प्रशांत महासागर में स्थित माशर्ल द्वीप क्रिप्टो करंसी के लीगल टेंडर को मान्यता देने वाला पहला देश है। वेनेजुएला ने भी क्रिप्टो करंसी की तर्ज पर पेट्रो नामक करंसी प्रारंभ की है ऐसा करने वाला विश्व का वह पहला संप्रभुता वाला देश है।

कई देशों में इसे आर्थिक संकट से उबारने वाले उपाय की तरह देखा जा रहा है। कई देश इसकी पारदर्शिता तथा विधि स्वीकार्यता को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं। कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसे मान्यता प्रदान नहीं की है। भारत ने भी अभी इसे मान्यता प्रदान नहीं की है। भारतीय संदर्भ में आभासी मुद्रा में उच्च स्तर की अनिश्चितता के कारण सरकार का दृष्टिकोण प्रतिबंधात्मक रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1913 में पहली बार इस संदर्भ में चेतावनी जारी की थी।

2017 में रिजर्व बैंक ने जनता को आगाह कर क्रिप्टो करंसी से सावधान रहने को कहा। रिजर्व बैंक ने किसी प्रकार की क्रिप्टो करंसी को  मान्यता प्राधिकार या लाइसेंस नहीं दिया है। क्रिप्टो करंसी पर प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट में प्रस्ताव दिया गया है कि देश में क्रिप्टो करंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 वर्ष की जेल की सजा होगी। क्रिप्टो करंसी काले धन को छुपाने का बड़ा जरिया भी हो सकती है। इस करंसी की सबसे बड़ी हानि यह है कि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है, इसका मुद्रण नहीं किया जा सकता। इस कारण इसका प्रयोग अवैध कार्यों के लिए जैसे अवैध हथियार खरीदी, मादक पदाथरे के व्यापार, आतंकवादी गतिविधियों में मनी लॉन्ड्रिंग आदी में किए जाने की आशंका बढ़ जाती है। अत: इस पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

संजीव ठाकुर


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