लखीमपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, कहा- हमने कानूनों पर रोक लगा दी, फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्‍यों?

Last Updated 04 Oct 2021 04:15:00 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी गई है, तो किसान संगठन किसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।


न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कानूनों की वैधता को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है।

लखीमपुर खीरी हिंसा का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह एक 'दुर्भाग्यपूर्ण घटना' और कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध अब बंद होना चाहिए। 

वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, "तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ी संख्या में याचिकाएं दाखिल की गईं थी। लखीमपुर खीरी में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। प्रदर्शन अब निश्चित ही रूकना चाहिए।"

पीठ ने कहा, "जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है।" पीठ ने पाया कि जब उसने पहले ही तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा दी थी और इसमें लागू करने के लिए कुछ भी नहीं है, तो किसान किस बात का विरोध कर रहे हैं।

इस बात पर जोर देते हुए कि शीर्ष अदालत के अलावा कोई भी कृषि कानूनों की वैधता तय नहीं कर सकता है, पीठ ने कहा, "जब ऐसा है, और जब किसान अदालत में कानूनों को चुनौती दे रहे हैं, तो सड़कों पर विरोध क्यों कर रहे हैं?"

पीठ ने कहा कि उसके समक्ष निर्णय के लिए मुख्य प्रश्न यह है कि क्या विरोध के अधिकार का प्रमुख मुद्दा 'असीमित' है, वो भी तब जब याचिकाकर्ता अदालत पहुंचे हैं, और क्या वे तब भी विरोध का सहारा ले सकते हैं जब मामला विचाराधीन हो।

पीठ ने कहा, "विरोध क्यों? जब कानून बिल्कुल भी लागू नहीं है और अदालत ने इसे स्थगित रखा है। कानून संसद द्वारा बनाया जाता है, सरकार द्वारा नहीं।"

शीर्ष अदालत तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यहां जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने का प्राधिकारियां को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

शीर्ष अदालत कृषकों के संगठन ‘किसान महापंचायत’ और उसके अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में संबंधित प्राधिकारियों को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण एवं गैर-हिंसक ‘सत्याग्रह’ के आयोजन के लिए कम से कम 200 किसानों के लिए जगह उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया था।

पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की है। पीठ ने तीन कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर किसान संगठन की याचिका भी अपने यहां स्थानांतरित कर लिया ।

कई किसान संगठन तीन कानूनों - किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के पारित होने का विरोध कर रहे हैं।

इन कानूनों का विरोध पिछले साल नवंबर में पंजाब से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में मुख्य रूप से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैल गया।

आईएएनएस/भाषा
नई दिल्ली


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