ड्राइवर को अवैध रूप से हिरासत में रखने पर 5 लाख का मुआवजा
ट्रक ड्राइवर को 35 दिन तक गैर-कानूनी रूप से थाने में बंद करने पर पांच लाख रुपए का हर्जाना देने के पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट |
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड और मुकेश कुमार शाह की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने पर बिहार सरकार को बुरी तरह फटकारा।
अदालत ने कहा कि बिहार में पुलिस राज है। जब राज्य सरकार के वकील ट्रक ड्राइवर को मुआवजे के रूप में दी गई रकम को ज्यादा बताया तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमीर हो या गरीब, किसी की भी आजादी इस तरह से छीनना गलत है।
स्वतंत्रता की कीमत अमीरी और गरीबी के पैमाने से नहीं नापी जा सकती। सारन पुलिस ने चालक को ही 35 दिन तक हिरासत में नहीं रखा, बल्कि उसका दूध का टैंकर भी जब्त कर लिया।
बिहार सरकार के वकील ने दलील दी कि ड्राइवर को छोड़ दिया गया था, लेकिन वह अपनी इच्छा से थाने में ही रहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की दलील कतई विसनीय नहीं है।
डीआईजी की रिपोर्ट खुद ही कहती है कि एफआईआर दर्ज किए बिना ट्रक ड्राइवर जितेन्द्र को 35 दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया।
पुलिस का कहना था कि पैदल यात्री की सड़क दुर्घटना में घायल होने पर चालक को पकड़ा गया। अगर ऐसा था तो फिर घायल के बयान कहां हैं।
बिहार में पूरी तरह पुलिस राज है। हाई कोर्ट ने पांच लाख का मुआवजा देकर सही निर्णय दिया। सरकार को विशेष अनुमति याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी।
| Tweet |