लोकसभा में कांग्रेस का नया नेता चुनेंगी सोनिया
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की तीसरी बार सत्ता में वापसी से राष्ट्रीय राजनीति में उभरे नए परिदृश्य के चलते कांग्रेस लोकसभा में अपना नेता बदल सकती है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी |
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर मोदी और शाह की जोड़ी को चुनौती देने के लिए मजबूत विपक्ष के गठबंधन को अमलीजामा पहनाए जाने के लिए यह बदलाव किया जा सकता है।
अभी लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी हैं, जो पश्चिम बंगाल से आते हैं। उनके तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ रिश्ते मधुर नहीं है। चौधरी को हटाने के कदम को कांग्रेस द्वारा तृणमूल कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने और भाजपा के खिलाफ अभियान का समन्वय करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी और उनकी सरकार के आलोचक रहे हैं। कांग्रेस ने वास्तव में कई मौकों पर विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी का साथ दिया है। चौधरी को हटाया गया तो शायद कांग्रेस द्वारा यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास होगा कि संसद में तृणमूल कांग्रेस के साथ समन्वय बिना किसी बाधा के हो।
सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ अपनी लड़ाई को बड़े पैमाने पर संसद तक ले जाने के लिए कमर कस रही है। एक ओर जहां कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में वामदल के साथ गठबंधन करके तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्य रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करने से परहेज किया था और उनकी जीत का स्वागत किया था। सोनिया गांधी तृणमूल कांग्रेस के साथ पार्टी के रिश्ते को और मजबूती देने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
सूत्रों की माने लोकसभा में कांग्रेस पार्टी में बदलाव मानसून सत्र से पहले किया जा सकता है। संसद में पार्टी के नए नेता के रूप में जिन नामों पर गंभीरतापूर्वक विचार चल रहा है उनमें पंजाब से आने वाले मनीष तिवारी और केरल से आने वाले शशि थरूर का नाम सबसे ऊपर है। ये दोनों 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र के हस्ताक्षरकर्ता भी हैं। माना जा रहा है जी 23 के नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर सोनिया गांधी पार्टी के अंदर की कमजोरी को दूर करने की रणनीति पर चल रही हैं। कांग्रेस लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में थरूर या तिवारी को नियुक्त करती है तो इसे कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल की संभावित वापसी से पहले गांधी परिवार द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जाएगा।
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