ब्लू इकोनामी को मिलेगी मजबूती
सरकार ने बुधवार को ‘गहरे समुद्र मिशन’ को मंजूरी दे दी। सरकार की इस पहल से समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद और ब्लू इकोनामी को मजबूती मिलेगी। आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमति दी गई।
समुद्री संसाधनों की खोज |
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि गहरे समुद्र के तले एक अलग ही दुनिया है। पृथ्वी का 70 फीसद हिस्सा समुद्र है। उसके बारे में अभी बहुत अध्ययन नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि सीसीईए ने ‘गहरे समुद्र संबंधी मिशन’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे एक तरफ ब्लू इकोनॉमी (महासागर आधारित अर्थव्यवस्था) को मजबूती मिलेगी वहीं समुद्री संसाधनों की खोज और समुद्री प्रौद्योगिकी के विकास में मदद मिलेगी। इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए पांच वर्ष की अवधि की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए होगी। तीन वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2823.4 करोड़ रुपए होगी।
विशेष पनडुब्बी का विकास : इस मिशन में गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाएगा। इसमें तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए वैज्ञानिक सेंसर के साथ एक पनडुब्बी विकसित की जाएगी। बहुत कम देशों ने यह क्षमता हासिल की है। मध्य ¨हद महासागर में 6,000 मीटर गहराई से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन पण्राली भी विकसित की जाएगी।
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