निकिता का विदेशी कनेक्शन खंगालने में जुटीं जांच एजेंसियां
किसान आंदोलन की आड़ में देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए विदेशी ताकतों के हाथ मजबूत करने में जुटी देशी ताकतों पर जांच एजेंसियों का शिंकजा कसना शुरू हो गया है।
निकिता का विदेशी कनेक्शन खंगालने में जुटीं जांच एजेंसियां |
खुफिया सूत्रों के मुताबिक ‘टूलकिट कैम्पेन साजिश’ मामले में आरोपी निकिता जैकब इसी की एक कड़ी है। जांच में यह बात उभर कर सामने आ रही है कि इस आंदोलन में उसने आग में घी डालने में अहम भूमिका निभायी।
खुफिया सूत्रों के अनुसार दस्तावेजों और सोशल अकाउंट की जांच-पड़ताल से मालूम हुआ कि निकिता जैकब ने ही दिशा रवि का इस साजिश में इस्तेमाल किया था। सूत्रों के अनुसार जांच में प्रथमदृष्ट्या पाया गया कि निकिता जैकब को यह बात बहुत अच्छी तरह से मालूम थी कि वह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ग्रेटा थनबर्ग सहित कई पर्यावरणविद के संपर्क में है। इसलिए उसको सबसे पहले इसका उपयोग किया जाए। खुफिया सूत्रों के मुताबिक जांच टीम निकिता का और विदेशी कनेक्शन खंगालने का काम कर रही है यानी इसका संबंध किस किससे और किस किस देश में है। निकिता सहित अन्य आरोपियों का सिग्नल मोबाइल एप्प, टेलीग्राम सहित अन्य कम्युनिकेशन के स्रोत और उसका ब्यौरा खंगालने में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक टूलकिट की पूरी साजिश में निकिता की सबसे अहम भूमिका सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक जांच में पाया गया कि वह एक ‘कमिटेड ऑपरेटर’ थी, उसी तरह काम भी कर रही थी।
जांच में पाया गया कि सभी आरोपियों ने टूलकिट का कोडर्वड बनाया हुआ था, जिसे ये कॉम्पस पैक कहते थे यानी कम्यूनिकेशन पैकेज। खुफिया सूत्रों के अनुसार साइबर सेल की जांच टीम के पास करीब 150 से 190 जीबी डेटा ऐसा है, जिसे वह खंगाल रही है। यह इस देशी और विदेशी ताकतों के पूरे तंत्र पर से पर्दा हटाएगा। सूत्रों के मुताबिक निकिता ने ही कनाडा की रहने वाली पुनीत के इशारे पर दिशा को इस समूह में जोड़ा था। चूंकि मशहूर पर्यावरणविद होने के कारण वह ग्रेटा थनबर्ग के संपर्क में थी, इसलिए ग्रेटा को इसमें जोड़ कर उसके नाम का इस्तेमाल अपने प्रोपगंडा के लिए किया जा सकता था। सूत्र बताते हैं कि निकिता एक ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर रही थी, जो पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संबंधित था। तफ्तीश के दौरान यह भी पता चला है कि निकिता को पीजेएफ की साजिश से जोड़ने में तिलक नाम की एक महिला की बड़ी भूमिका थी। जांच में पाया गया कि जो व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था, उसमें शुभम नाम का शख्स भी सदस्य था। इसकी पहचान करने की कोशिश हो रही है।
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