सरकार और किसान संगठनों की बैठक खत्म, गतिरोध बरकरार, अगली वार्ता 19 जनवरी को
दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के मंत्रियों के बीच नौवें दौर की बातचीत खत्म हो गई है, अगली बैठक 19 जनवरी को दिन में 12 बजे से होगी
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सरकार के साथ 9वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता ने बताया कि कोई समाधान नहीं निकला, न कृषि क़ानूनों पर न MSP पर। 19 जनवरी को फिर से मुलाकात होगी।
कोई समाधान नहीं निकला, न कृषि क़ानूनों पर न MSP पर। 19 जनवरी को फिर से मुलाकात होगी : किसान नेता, सरकार के साथ 9वें दौर की वार्ता के बाद #FarmersProtest pic.twitter.com/N0NpDWuPiR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 15, 2021
सरकार के साथ वार्ता के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि हम सरकार से ही हम बात करेंगे। 2 ही बिंदु है। कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे।
सरकार से ही हम बात करेंगे। 2 ही बिंदु है। कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे: राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता, सरकार के साथ 9वें दौर की मुलाकात के बाद pic.twitter.com/c5j4KJOXiu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 15, 2021
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बैठक खत्म होने के बाद कहा कि तीन कृषि कानूनों पर सौहार्दपूर्ण माहौल में चर्चा हुई, लेकिन निर्णायक बिंदु तक नहीं पहुंच सके।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा सरकार ने ठोस प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए किसान यूनियनों को अनौपचारिक समूह बनाने का सुझाव दिया ताकि औपचारिक वार्ता में इन प्रस्तावों पर चर्चा की जा सके।
कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार को 19 जनवरी को होने वाले, वार्ता के दसवें दौर में कुछ निर्णायक स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।
प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और तीन केंद्रीय मंत्रियों ने तीन नये कृषि कानूनों पर एक महीने से अधिक समय से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए वार्ता जारी रखने की शुक्रवार को प्रतिबद्धता व्यक्त की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से अपील की कि वे भी सरकार की तरह इस मामले पर अपने रूख में लचीलापन लायें।
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री तथा पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ शुक्रवार को विज्ञान भवन में नौवें दौर की वार्ता हुई भोजनावकाश से पहले तीनों कृषि कानूनों के बारे में चर्चा हुई।
बैठक में हिस्सा लेने वाली अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की सदस्य कविता कुरूंगटी ने कहा, ‘‘ सरकार और किसान संगठनों ने सीधी वार्ता की प्रक्रिया जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।’’
इससे पहले 11 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। हालांकि, समिति के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने समिति से अपने को अलग कर लिया था।
पंजाब किसान मोर्चा के बलजीत सिंह बाली ने कहा, ‘‘अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में तोमर जी ने कहा कि आप लगातार कह रहे हैं कि सरकार अड़ी है और इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाये हुए है जबकि हमने आपकी कई मांगों को मान लिया है। क्या आप नहीं समझते कि आपको भी लचीलापन दिखाना चाहिए और केवल कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े नहीं रहना चाहिए।’’
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा था, ‘‘ तीनों कानूनों के बारे में अच्छी चर्चा हुई। कुछ समाधान निकलने की संभावना है। हम सकारात्मक हैं।’’
एक अन्य किसान नेता राकेश टिकैत ने वार्ता से पहले कहा, ‘‘ सरकार ने हमसे कहा कि समाधान बातचीत से निकाला जाना चाहिए, अदालत में नहीं। सभी का समान मत है। कुछ समाधान की संभावना है। ’’
इससे पहले, आठ जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं के पास पिछले एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आठ जनवरी की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका था क्योंकि केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया था और दावा किया था कि इन सुधारों को देशव्यापी समर्थन प्राप्त है। वहीं किसान नेताओं ने कहा कि वह अंत तक लड़ाई के लिये तैयार है और कानूनी वापसी के बिना घर वापसी नहीं होगी।
वहीं, उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति में अन्य तीन सदस्यों में शेतकारी संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष अनिल घनवट, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं।
किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी।
बैठक शुरू होने से पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार अपनी बात पर अड़ी रही तो 15 मिनट बाद बाहर आ जाएंगे। उन्होंने आईएएनएस से कहा, सरकार अगर बात नहीं करेगी तो 15 मिनट बाद वापस आ जाएंगे। यदि सरकार अपनी मांगों पट डटी रही तो, बातचीत का फायदा नहीं।
हालांकि तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किए जाने के बाद किसान नेता पहली बार केंद्रीय मंत्रियों से मिल रहे हैं।
किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की अगुवाई कर रहे यूनियनों के नेताओं के साथ सरकार की यह नौवें दौर की वार्ता है।
नौवें दौर की वार्ता से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार यूनियन के नेताओं के साथ खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है और उन्हें अगले दौर की वार्ता सकारात्मक रहने की उम्मीद है।
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