विपक्षी एकता में दरार, टीएमसी ने 'भारत बंद' से किया किनारा

Last Updated 07 Dec 2020 04:57:10 PM IST

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 'भारत बंद' को समर्थन करने से किनारा कर लिया है।


ममता बनर्जी(फाइल फोटो)

इसके साथ ही किसानों के आंदोलन के समर्थन में उतरने वाले विभिन्न विपक्षी दलों के खेमे में दरार पड़ती नजर आ रही है। टीएमसी ने सोमवार को कहा कि वह 'भारत बंद' का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को इससे दूर रहने के लिए कहा है।

टीएमसी संसद में कृषि कानूनों के विरोध में सबसे मुखर रहने वाली विपक्षी पार्टियों में से एक है। इसने किसानों की ओर से जताए जा रहे विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है, लेकिन मंगलवार के 'भारत बंद' के साथ नहीं जाने का फैसला किया है।

पार्टी सांसद सौगत राय ने सोमवार को कहा, "टीएमसी किसानों के साथ एकजुटता से खड़ी है, लेकिन पार्टी पश्चिम बंगाल में भारत बंद का समर्थन नहीं करेगी, क्योंकि यह हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है।"

इससे पहले, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने ट्वीट किया था, "मैं किसानों, उनके जीवन और आजीविका के बारे में बहुत चिंतित हूं। भारत सरकार को किसान विरोधी विधेयकों को वापस लेना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो हम तुरंत पूरे राज्य और देश में आंदोलन करेंगे। हम शुरू से ही किसान विरोधी इन विधेयकों का कड़ा विरोध करते रहे हैं।"

बंद को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, राजद, पीएजीडी, राकांपा, भाकपा, माकपा, भाकपा-माले, आरएसपी और एआईएफबी जैसे विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। रविवार को इन दलों के नेताओं द्वारा एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसमें बंद का समर्थन करने की बात कही गई थी।

बसपा, शिवसेना और टीआरएस ने भी बंद का समर्थन किया है।

केंद्र सरकार की ओर से तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता भी सफल नहीं हो सकी। अब दोनों पक्ष किसान प्रतिनिधियों और सरकार ने नौ दिसंबर को बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है।

सरकार और किसान नेताओं के बीच शनिवार को हुई पांचवें दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल सका। दोनों पक्ष तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर अपने रुख पर अड़े हुए हैं। किसान पूरी तरह से कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार बीच का रास्ता निकालकर समस्या का हल करना चाह रही है। किसानों का कहना है कि सरकार जब तक तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
 

आईएएनएस
कोलकाता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment