अब कांग्रेस में ‘जयचंदों’ को चिह्नित करने की मुहिम
लेटर बम से कांग्रेस में उठा तूफान शांत होता नजर नहीं आ रहा है। चिट्ठी लिखने का दांव अब उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।
अब कांग्रेस में ‘जयचंदों’ को चिह्नित करने की मुहिम |
चिट्ठी लिखने की मंशा व मीडिया में इसके लीक होने का पता लगाने के लिए आंतरिक जांच शुरू हो गई है। पार्टी के अंदर पत्र को दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
गांधी परिवार के वफादार अब इस पत्र का पोस्टमार्टम करने में लग गए हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस आलाकमान भी यह जानना चाहता है कि पत्र लिखने की असली मंशा क्या थी और इसके निशाने पर कौन लोग थे। चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की सफाई कांग्रेस नेता और गांधी परिवार के वफादारो के गले नहीं उतर रही है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, पत्र की जांच कराकर पार्टी के जयचंद का पता लगाने की कोशिश शुरू हो गई है। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद जिस तरह से गुलाम नबी आजाद के आवास पर चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की बैठक हुई, उसको भी शक की दृष्टि से देखा जा रहा है। पता लगाया जा रहा है कि चिट्ठी लिखने वालों में ऐसे कितने लोग हैं, जिनके राजनीतिक हित पिछले कुछ दिनों में प्रभावित हुए हैं। गांधी परिवार के वफादारों को इस पत्र में राहुल और उनकी टीम को निशाने पर लेने की बू नजर आ रही है और इसी के चलते संभावना इस बात की भी बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में इनमें से कुछ का पत्ता साफ हो सकता है। सोमवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जिस अंदाज में गुलाम नबी आजाद को टोका और उसके बाद अहमद पटेल ने जिस तरीके के सवाल उठाए, उससे संकेत साफ है वफादारों की पूरी रणनीति चिट्ठी के पीछे के कारणों का पता लगाने में है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को चिट्ठी लिखने का यह तरीका पसंद नहीं आया।
सूत्रों का यह भी दावा है कि जिन कारणों से चिट्ठी लिखी गई थी, वह अब उल्टे पड़ते नजर आ रहे हैं। अब पूरी कोशिश इस बात की हो रही है कि किसी भी तरीके से आने वाले दिनों में राहुल गांधी के हाथों में कमान सौंपी जाए। सूत्रों के अनुसार, अभी तक अध्यक्ष पद संभालने में ना नुकर कर रहे राहुल गांधी को बिहार चुनाव के बाद पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। पार्टी के अंदर इस बात को लेकर भी हैरत जताई जा रही है कि चिट्ठी लिखने वाले ज्यादातर लोग 10 जनपथ के काफी करीबी और विश्वासपात्र हैं और यही एक वजह है, जिससे कि कांग्रेस नेतृत्व के कान खड़े हुए। वफादारों का मानना है कि जिस तरीके से राहुल गांधी अध्यक्ष ना होते हुए भी सक्रियता के साथ पार्टी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और पार्टी को मजबूती देने के लिए लड़ रहे हैं, वह इनमें से कई के गले नहीं उतर रहा है।
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