शोधकर्ताओं ने पाया इंफ्लेमेशन और डिप्रेशन के बीच महत्वपूर्ण संबंध

Last Updated 01 Jan 2025 11:59:01 AM IST

वैज्ञानिकों ने डिप्रेशन और इंफ्लेमेशन के बीच गहरे संबंध का खुलासा किया है, जिससे डिप्रेशन को समझने का नजरिया बदल सकता है।


हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम के न्यूरोसाइंटिस्ट प्रोफेसर रज यिर्मिया की रिसर्च सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है।

उनकी खोज ने यह दिखाया है कि माइक्रोग्लिया कोशिकाएं और इंटरल्यूकिन-1 कैसे तनाव से उत्पन्न डिप्रेशन में भूमिका निभाते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या इंफ्लेमेशन की प्रक्रिया को समझकर डिप्रेशन के इलाज को बेहतर बनाया जा सकता है? और क्या अलग-अलग प्रकार की इम्यून प्रतिक्रियाएं डिप्रेशन के विभिन्न रूपों पर प्रभाव डालती हैं?  

प्रोफेसर यिर्मिया ने ब्रेन मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित एक इंटरव्यू में बताया, "ज्यादातर डिप्रेस्ड मरीजों को कोई स्पष्ट इंफ्लेमेशन से जुड़ी बीमारी नहीं होती। लेकिन हमने और अन्य वैज्ञानिकों ने पाया कि तनाव, जो डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण है, दिमाग में इंफ्लेमेशन की प्रक्रियाओं को सक्रिय करता है।"  

यिर्मिया की टीम ने आधुनिक तकनीकों और व्यावहारिक अध्ययन के जरिए कई संभावित उपचार लक्ष्य पहचाने। उनका काम माइक्रोग्लियल चेकपॉइंट सिस्टम और तनाव सहनशीलता पर केंद्रित है, जो यह समझने के नए रास्ते खोलता है कि इम्यून सिस्टम मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है।  

उनकी रिसर्च यह संकेत देती है कि इंफ्लेमेशन को नियंत्रित करने के आधार पर व्यक्तिगत इलाज विकसित किए जा सकते हैं।  

यिर्मिया कहते हैं, "मेरी मुख्य कोशिश है कि अपने और अन्य वैज्ञानिकों के शोध का उपयोग करके ऐसे नए एंटीडिप्रेसेंट विकसित किए जाएं जो इंफ्लेमेशन प्रक्रियाओं को लक्षित करें।"  

उनके निष्कर्ष बताते हैं कि इम्यून सिस्टम को सक्रिय या दबाने से डिप्रेशन के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए हर मरीज के लिए व्यक्तिगत इलाज की जरूरत है।  

यिर्मिया का यह इंटरव्यू एक ऐसी सीरीज का हिस्सा है, जो विज्ञान की नई सोच के पीछे के लोगों को उजागर करती है। इस सीरीज के लेखक बताते हैं कि हर इंटरव्यू में वैज्ञानिकों के शोध और उनके निजी विचारों का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया गया है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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