स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अपोलो ने खुलासा किया है कि 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में 25 प्रतिशत से अधिक स्तन कैंसर के मामले डायग्नोसिस होते हैं।
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पिछले पांच वर्षों में करीब 1,50,000 स्क्रीनिंग का विश्लेषण करते हुए, डेटा से यह भी पता चला है कि भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर की घटनाओं की औसत आयु अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों की तुलना में लगभग दस साल पहले है।
इस रिपोर्ट का उद्देश्य भारतीय महिलाओं के बीच स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अपोलो की स्क्रीनिंग से मुख्य निष्कर्ष सामने आए हैं।
स्तन कैंसर की प्रारंभिक शुरुआत: भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के 25 प्रतिशत मामले 39 वर्ष या उससे कम उम्र में हुए। स्तन कैंसर के डायग्नोसिस के समय दर्ज न्यूनतम आयु 23 वर्ष है।
लगातार औसत आयु :- अपोलो के डेटा ने लगातार संकेत दिया है कि भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के डायग्नोसिस की औसतन आयु 53 वर्ष है। जो कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों में 62 वर्ष की औसत आयु से काफी कम है।
औसत आयु (2018-2023) :- 53 वर्ष
औसत आयु (2018-2021) :- 53 वर्ष
औसत आयु (जनवरी 2022 - अगस्त 2023) :- 52 वर्ष
महत्वपूर्ण सकारात्मक पूर्वानुमानित मूल्य: मैमोग्राफी से जांचे गए उल्लेखनीय 23 प्रतिशत मामलों में कुछ असामान्यता पाई गई और हिस्टोपैथोलॉजी के साथ आगे का मूल्यांकन किया गया। इनमें से 11.2 प्रतिशत में स्तन कैंसर पाया गया।
प्रिवेंटिव हेल्थ अपोलो के सीईओ डॉ. सत्या श्रीराम ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ''वैश्विक दिशानिर्देशों ने 40 वर्ष की आयु में नियमित स्तन कैंसर जांच शुरू करने की वकालत की है।
हालांकि, उभरते परिदृश्य और इन निष्कर्षों के कारण भारतीय महिलाओं के लिए इन दिशानिर्देशों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक हो गया है।
यह गलत धारणा है कि कैंसर कम उम्र के समूहों में स्वास्थ्य समस्याओं का एक असंभव कारण है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर डायग्नोसिस में देरी होती है, जिससे संभावित रूप से शुरुआती हस्तक्षेप से बेहतर परिणाम और जीवित रहने के चांस कम हो जाते है।
मैं देश भर की महिलाओं से आग्रह करती हूं कि वे समय पर जांच को प्राथमिकता दें, खासकर यदि उनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा हो।''
अपोलो प्रोटोन कैंसर सेंटर (एपीसीसी) के स्तन कैंसर विशेषज्ञ और ऑन्कोप्लास्टिक सर्जन डॉ. मंजुला राव ने कहा, "भारत में 60 प्रतिशत से अधिक स्तन कैंसर के मरीज एडवांस स्टेज में हैं, पश्चिम की तुलना में स्तन कैंसर से संबंधित मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।
जो रोग की अधिक घटनाओं के बावजूद कम मृत्यु दर की रिपोर्ट करता है। यह सार्वजनिक जागरूकता और स्तन कैंसर की जांच पर प्रकाश डालता है, जो शीघ्र पता लगाने में मदद करता है।
मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगी कि स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शीघ्र पता लगाना सर्वोपरि है। हमने एपीसीसी प्रारंभिक चरण में डायग्नोसिस किए गए स्तन कैंसर के इलाज में बड़ी सफलता हासिल की है। हमने स्तन संरक्षण दर 60 प्रतिशत हासिल कर ली है।''
अपोलो द्वारा सुझाए गए कुछ उपायों में कहा गया है कि नियमित जांच को प्राथमिकता देकर और स्तन स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रुख अपनाकर, महिलाओं को अपनी भलाई की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
समय के साथ होने वाले किसी भी बदलाव से खुद को परिचित करने के लिए 20 साल की उम्र से शुरू करके हर महीने स्तन की स्वयं जांच करें, जिसमें गांठ, त्वचा में बदलाव या डिस्चार्ज शामिल हैं।
30 वर्ष की आयु से शुरू करके, महिलाओं को डॉक्टर या प्रशिक्षित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा वार्षिक स्तन परीक्षा करानी चाहिए। 40 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए, नैदानिक परीक्षा और अल्ट्रासाउंड सहित परीक्षणों के संयोजन की सिफारिश की जाती है।
एक स्तन स्वास्थ्य जांच योजना के लिए डॉक्टर के पास वार्षिक मुलाकात की सलाह दी जाती है, जिसमें व्यक्तिगत जोखिम कारकों के आधार पर मैमोग्राम और एमआरआई भी शामिल हो सकता है।
इसके अलावा, फलों और सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार, प्रति सप्ताह 150 मिनट का मध्यम व्यायाम, न्यूनतम शराब का सेवन और तंबाकू का सेवन न करना इसकी रोकथाम में भूमिका निभा सकता है।
इसमें कहा गया है कि पारिवारिक इतिहास स्तन कैंसर के खतरे का महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। यदि आपके परिवार में पहले ऐसा हुआ है तो 25 वर्ष की आयु तक या उससे पहले, पारिवारिक स्वास्थ्य का पूरा इतिहास जानना चहिए।
स्तन कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाली महिलाओं के लिए परीक्षण बहुत जरूरी है। यदि आप इस उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं तो 25 साल की उम्र से ही बीआरसीए1/बीआरसीए2 परीक्षण कराने पर विचार करें।
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