युवा आईएफएस स्नेहा दुबे ने 2 बार ट्विटर पर जीत हासिल की, दूसरी बार चुप्पी
Last Updated 26 Sep 2021 01:43:13 AM IST
पहली बार 2011 बैच की भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की अधिकारी स्नेहा दुबे ने इंटरनेट जीता है, जिसके कारण उन्हें शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा दिए गए झूठे बयान पर भारत के खंडन का अधिकार मिला।
भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की अधिकारी स्नेहा दुबे |
दुबे की पारिवारिक जड़ें गोवा और पुणे में हैं। फग्र्यूसन कॉलेज में उनकी शिक्षा हुई, इसके बाद नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से उन्होंने परास्नातक किया।
यहां तक कि 12 साल की उम्र से विदेश सेवा में शामिल होने के उनके सपने को कई समाचार रिपोटरें और सोशल मीडिया पर साझा किया गया था।
कुछ ने इसे भारतीय कूटनीति की एक और युवा बेटी कहा तो इनाम गंभीर ने 'पाकिस्तान, आइवी लीग ऑफ टेररिज्म' लिखा।
गंभीर ने उस समय सिर्फ 12 साल की सेवा की थी और वहां वह सरकार के मुखिया का खंडन कर रही थीं।
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