Shiv Ji Ki Aarti : मासिक शिवरात्रि पर करें भगवान शिव की आरती, कष्टों से मिलेगी मुक्ति
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics - मासिक शिवरात्रि पर करें भगवान शिव की आरती, कष्टों से मिलेगी मुक्ति। Shiv Ji Ki Aarti
Shiv Ji Ki Aarti |
Masik Shivratri Aarti : मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा - पाठ की जाती है और उन्हीं के लिए व्रत किया जाता है। इस दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे दिन का उपवास करते हैं। मान्यता है कि मासिक शिव रात्रि पर की जाने वाली पूजा और व्रत से शिव शंकर प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार महा शिवरात्रि के दिन आधी रात में भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे इसलिए महा शिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है। श्रद्धालु शिवरात्रि के दिन शिव लिंग की पूजा करते हैं। इस दिन पूजा के बाद भोलेनाथ की आरती ( Masik Shivratri Aarti) जरुर करनी चाहिए, ऐसा करने से भक्तों के घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics - Masik Shivratri Aarti In Hindi
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
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