दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव एक चरण में 5 फरवरी को संपन्न कराए जाएंगे।
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चुनाव आयोग की तरफ से मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि 5 फरवरी को मतदान और 8 फरवरी को मतगणना होगी।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में दिल्ली की 70 विधानसभा सीट में से 58 सामान्य सीट और 12 एससी सीट पर एक ही चरण में चुनाव संपन्न होंगे। इस चुनाव में 1.55 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे।
अब ऐसे में दिल्ली में 2013, 2015 और 2020 के चुनाव में यहां राजनीतिक दलों की क्या स्थिति रही, इस पर नजर डालना जरूरी है। बता दें कि 2013 से वर्तमान में अभी तक यहां आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार का यह तीसरा टर्म है। पहली बार 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में कांग्रेस के सहयोग से यहां आम आदमी पार्टी ने सरकार का गठन किया था। लेकिन, यह सरकार ज्यादा समय तक चल नहीं पाई थी और अरविंद केजरीवाल ने स्वयं ही कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।
इसके बाद 2015 में दिल्ली में विधानसभा के चुनाव कराए गए, जिसमें कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया और आम आदमी पार्टी को यहां भारी बहुमत हासिल हुई। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल के नेतृत्व में 'आप' यह करिश्मा दोहराने में कामयाब रही। हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री की कुर्सी से सितंबर 2024 को इस्तीफा दिया और सरकार की कमान आतिशी के हाथों में आ गई।
आम आदमी पार्टी एक बार फिर अरविंद केजरीवाल के नाम पर ही चुनाव मैदान में है। लेकिन, इस बार कांग्रेस भी यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। दरअसल, कांग्रेस ने 2015 और 2020 के चुनाव में अपनी दुर्गति से सबक ली है और वह आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है।
अब एक बार नजर 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर डालते हैं। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 28, भाजपा को 31 और कांग्रेस को 8 सीटें हासिल हुई थी। लेकिन, आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था और सरकार का गठन किया था।
इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर तो वहीं भाजपा ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इसके बाद 2020 में भी आम आदमी पार्टी अपना प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रही। उसे 62 सीटों पर जीत हासिल हुई। जबकि, आठ सीटें भाजपा के खाते में गई और फिर एक बार कांग्रेस का खाता नहीं खुल पाया।
अब इन तीनों चुनाव में तीनों ही पार्टियों के वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो 2013 में कांग्रेस को 24.55 प्रतिशत, आप को 29.49 प्रतिशत तो वहीं भाजपा के हिस्से में 33.07 प्रतिशत वोट आए। जबकि, 2015 में आप ने 54.34 प्रतिशत, भाजपा ने 32.19 प्रतिशत और कांग्रेस ने 9.65 प्रतिशत वोट हासिल किया।
2020 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस की हालत और खराब हो गई। इस चुनाव में आप ने जहां 53.57 प्रतिशत, भाजपा ने 38.51 प्रतिशत वोट पाया। वहीं, कांग्रेस के खाते में वोट का हिस्सा 4.26 प्रतिशत रहा।
अब ऐसे में आप इन वोट प्रतिशत के आंकड़ों को देखकर समझ सकते हैं कि कांग्रेस के वोट बैंक में आम आदमी पार्टी ने जबर्दस्त सेंधमारी की। जबकि भाजपा अपना वोट प्रतिशत बचाए रखने में कामयाब रही और 2020 के चुनाव में तो उसके वोट प्रतिशत में इजाफा ही हुआ है।
अगर ऐसे में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से अपने वोट का कुछ भी हिस्सा छीनने में कामयाब रहती है तो भाजपा के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए राह आसान हो जाएगी। ऊपर से दिल्ली में 10 साल से ज्यादा समय से आम आदमी पार्टी की सरकार है, ऐसे में सरकार के खिलाफ भी जनता के मन में विश्वास की कमी भी एक मुद्दा है, जो वोट प्रतिशत पर असर डाल सकता है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच ही कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। वहीं, कांग्रेस अगर अपने मतदान प्रतिशत में सुधार कर पाई तो यह आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल पैदा करने वाली और भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी।
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