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- गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय
![गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय, गुरु की महिमा अपरंपार गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय, गुरु की महिमा अपरंपार](http://www.samaylive.com//pics/article/2013_09_05_05_38_45_t2.jpg)
दुनिया में अनेक उदाहरण हैं जिसमें गुरु एक बड़े पथ प्रदर्शक के रूप में देखे गए. मां के बाद बच्चे की प्रथम पाठशाला शिक्षक ही होते हैं जो उसे एक नए ढांचे में ढालकर उसके जीवन के लिए उचित दिशा देते हैं. ‘शिक्षक दिवस’ समाज में शिक्षक समुदाय की इसी भूमिका और मान-सम्मान को बढ़ाता है. भारत के द्वितीय राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद, दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. डॉ. राधाकृष्णन ने 1967 तक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की अमूल्य सेवा की. डॉ. राधाकृष्णन जीवनभर अपने आप को शिक्षक मानते रहे. उन्होंने अपना जन्मदिवस शिक्षकों के लिए समर्पित किया. इसलिए 5 सितंबर सारे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. 5 सितंबर टीचर्स डे घोषित किया गया है. इन दिन राष्ट्रीय स्तर पर अध्यापक दिवस (टीचर्स डे) मनाया जाता है. टीचर्स को सम्मान देने के लिए इस दिन बच्चे स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित करते हैं. टीचर्स भी इसमें शामिल रहते हैं. बच्चे टीचर्स को कुछ गिफ्ट देते हैं. उनके सम्मान में कुछ कहते हैं या कुछ गाते हैं. भारतीय संस्कृति में गुरु का ओहदा भगवान से भी ऊंचा माना गया है. कहा भी गया है- गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपनो जो गोविंद दियो मिलाय.