Kaala Review :वेब सीरीज के 8 एपिसोड देखने के लिए 5 घंटे निकालने ज़रुरी

Last Updated 17 Sep 2023 04:10:30 PM IST

कहानी दमदार है इसलिए अगर बैकग्राउंड म्यूजिक पर जोर दिया गया होता तो सस्पेंस का लेवल और बढ़ जाता


 डिज़्नी प्लस हॉटस्टार की एक क्राइम ड्रामा वेब सीरीज़ है। साल 2018 में रजनीकांत की एक फिल्म रिलीज हुई थी। उस फिल्म का नाम भी 'काला' था। लेकिन, ये एक वेब सीरीज है। इसकी कहानी बिल्कुल ताज़ा है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले चेहरे भी नये हैं। कहानी में दम है और सस्पेंस का पुट भी है। लेकिन, सवाल यह उठता है कि क्या इस क्राइम ड्रामा वेब सीरीज के आठ एपिसोड देखने के लिए पांच घंटे का समय निकालना उचित है? हमारी समीक्षा पढ़ें।

कहानी
एक अज्ञात व्यक्ति आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) अधिकारी ऋत्विक (अविनाश तिवारी) को प्रसिद्ध व्यवसायी नमन आर्य (ताहेर शब्बीर) के वास्तविक व्यवसाय के बारे में जानकारी देना शुरू कर देता है। आईबी अधिकारी होने के नाते ऋत्विक, नमन आर्य की जांच करता है। उसे पता चला कि नमन आर्य का असली कारोबार रिवर्स हवाला है। वह नमन आर्य को पकड़ने के लिए सबूत इकट्ठा करना शुरू कर देता है। लेकिन, राज्य सरकार इसमें खेल खेलती है। उसने नमन आर्य के साथ समझौता करके आईबी को फंसाया। नमन आर्य अपने पैसों से एक-एक करके सभी को खरीदते हैं। इतना ही नहीं, वह ऋत्विक को फंसाकर अपने घर में काला धन छिपा लेता है और उसे देशद्रोही घोषित करवा देता है। अब आईबी नमन आर्य को पकड़ने के बजाय अपने ही अफसर ऋत्विक को पकड़ने में लग जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि ऋत्विक नमन आर्य को सजा कैसे दिलाएगा? ये जानने के लिए आपको इस वेब सीरीज के सभी एपिसोड देखने होंगे।

उपरोक्त पैराग्राफ में लिखी कहानी पढ़ने में काफी सरल लगती है। लेकिन, वेब सीरीज में इसे उतने ही जटिल तरीके से पेश किया गया है। इस क्राइम ड्रामा सीरीज में थ्रिल, कॉमेडी और एडवेंचर है। पूरी सीरीज में कई ऐसे मोड़ हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की गई थी। वेब सीरीज के निर्देशक और लेखक बेजॉय नांबियार ने कहानी को इस तरह बुना है कि आठों एपिसोड देखे बिना आपको कहानी समझ नहीं आएगी। हर एपिसोड में छिपा सस्पेंस आपको वेब सीरीज से बाहर नहीं निकलने देगा। अंत बांधेगा और सस्पेंस परत दर परत खुलता जाएगा।

एक तरफ अविनाश तिवारी इस सीरीज की जान है। वहीं जितिन गुलाटी इस सीरीज के सबसे बड़े सरप्राइज एलिमेंट हैं। अगर दोनों में से कोई भी अपने काम में फेल हो जाता तो इस सीरीज का मजा किरकिरा हो जाता। लेकिन, ये दोनों आखिर तक लगे रहे। अविनाश तिवारी ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया। जितिन गुलाटी ने अपनी बॉडी लैंग्वेज, अपने डायलॉग्स और अपनी सादगी से महफिल लूट ली। इन दोनों के अलावा रोहन विनोद मेहरा और ताहेर शब्बीर ने भी अच्छा काम किया है.

हानी का अंत सशक्त है। लेकिन, शुरुआत धीमी है। अगर ये कहानी आठ की बजाय सात एपिसोड में कही गई होती तो सोने पर सुहागा होता। कहानी दमदार है इसलिए अगर बैकग्राउंड म्यूजिक पर जोर दिया गया होता तो सस्पेंस का लेवल और बढ़ जाता। अगर आपको क्राइम ड्रामा देखना पसंद है तो यह वेब सीरीज आपके लिए है। इस वेब सीरीज को आप अपने परिवार वालों के साथ भी देख सकते हैं। इस सीरीज में खून खराबा तो दिखाया गया है लेकिन उतना ही जितना जरूरी है। जबरदस्ती और खून-खराबे वाले दृश्य नहीं दिखाए गए हैं। लेकिन, चूंकि कहानी कोलकाता पर आधारित है, इसलिए कुछ जगहों पर बंगाली भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिसके कारण कई संवाद समझ में नहीं आते हैं। ऐसे में आपको कैप्शन का सहारा लेना पड़ेगा।

समय डिजि़टल
नई दिल्ली


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