चैंपियंस ट्रॉफी : भारतीय दबदबे का मंचन

Last Updated 11 Mar 2025 01:44:06 PM IST

देश में दिवाली एक हफ्ते पहले ही आ गई। भारत के चैंपियंस ट्रॉफी चैंपियन बनते ही देशभर में आकाश पटाखों की आवाज से गूंज गया।


चैंपियंस ट्रॉफी : भारतीय दबदबे का मंचन

भारतीय कप्तान रोहित शर्मा अभी कुछ माह पहले आईसीसी टी-20 विश्व कप जीतने पर जिस तरह भावुक हो गए थे, वैसे इस सफलता पर भावुक तो नहीं हुए पर खुशी जबर्दस्त दिखी। उन्होंने अपने साथ कई सफलताओं के साथी विराट कोहली के साथ स्टंप हाथ में लेकर डांडिया खेलना शुरू कर दिया। 

भारतीय टीम ने सफेद गेंद से जिस तरह से पिछले कुछ समय में प्रदर्शन किया है, वह उसके विश्व क्रिकेट पर दबदबे की कहानी बताने के लिए पर्याप्त है। भारत ने पिछले साल के आखिर में टी-20 विश्व कप जीतने के बाद चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। भारत ने जब 2023 में घर में हुए आईसीसी वनडे विश्व कप में अपनी क्षमता को प्रदर्शित नहीं कर सका था। उस समय में यह कहा जाने लगा था कि हम यह भूल गए हैं कि खिताब कैसे जीता जाता है। इसकी वजह भारत के हाथ से कई बार खिताब फिसलते देखा गया था। पर अब भारत के एक साल से भी कम समय में दो आईसीसी खिताब जीतने से लगता है कि वह अब जीतने का फामरूला पाने में सफल हो गया है।

यह फार्मूला कितने समय तक कारगर रहता है, यह देखने वाली बात होगी। भारत के पास आईसीसी के चार खिताबों में से दो पर कब्जा है। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के लिए वह इस बार क्वालिफाई नहीं कर सका है। इसकी वजह घर में न्यूजीलैंड से सीरीज में सफाया कराने और फिर ऑस्ट्रेलिया से उसके घर में सीरीज हाराना रही। भारत को अब इन दोनों खिताबों पर कब्जा करने के लिए 2027 तक इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि आईसीसी वनडे विश्व कप का 2027 में आयोजन होना है और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अगली साइकिल भी तब तक ही खत्म होगी। 

न्यूजीलैंड पिछले कुछ वर्षो में भारत के तगड़ी प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरकर सामने आई है। इस फाइनल में भी जब उसने भारत के तीन विकेट फटाफट निकाल दिए थे, तो भारतीय कैंप में हड़कंप मच गया और एकदम से खामोशी छा गई। कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल के बीज 105 रन की साझेदारी बनने से मैच के एकतरफा बनने के संकेत मिल ही रहे थे कि अगले 17 रनों में तीन विकेट निकल जाने से लगा कि कहीं मैच पलटने तो नहीं जा रहा है। पर इस स्थिति में श्रेयस अय्यर, हार्दिक पांडय़ा, केएल राहुल और रविंद्र जडेजा ने बेहतरीन बल्लेबाजी करके भारत को खिताब तक पहुंचा दिया। असल में भारत के चार स्पिनर खिलाने के फैसले और इनमें दो अक्षर पटेल और रविंद्र जडेजा के बल्लेबाज होने से भारत की बल्लेबाजी में बहुत गहराई आ गई थी। 

इसका भारत को हमेशा फायदा मिला और शुरुआती विकेट जल्दी निकल जाने तक भी बड़ा स्कोर खड़ा करने की संभावनाएं बनी रहती थीं। यह साल ऐसा है, जिसने भारतीय कप्तान रोहित शर्मा को जिंदगी के दोनों पक्ष दिखाए हैं। यहां एक और वह चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर सफलता के मायने में महेंद्र सिंह धोनी से सिर्फ एक कदम ही पीछे हैं। वहीं दूसरी तरफ साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खराब फॉर्म की वजह से सिडनी टेस्ट में खुद को टीम से बाहर कर लिया था। यह वह समय था, जब उनकी कप्तानी के साथ कॅरियर पर सवालिया निशान लग  रहे थे, लेकिन इस सफलता ने आलोचकों के मुंह पर ताला जड़ दिया है। सच में फाइनल में जिस तरह से उन्होंने 76 रनों की पारी खेलकर भारत की जीत की राह बनाई, उससे क्रिकेट जगत उनका मुरीद बन गया है। 

धोनी ने एक कप्तान के रूप में आईसीसी वनडे विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी और टी-20 विश्व कप जीतकर अपने को भारतीय कप्तानों में शिखर पर पहुंचा दिया है।  रोहित से अब सिर्फ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और आईसीसी वनडे विश्व कप ही दूर है। वह यदि 2027 तक खेल सके तो वह देश के सफलतम कप्तान बन सकते हैं। रोहित 2022 से पहले विकेट पर टिकने के बाद ताबड़तोड़ करने में विश्वास रखते थे, लेकिन अब वह पहली ही गेंद से बड़े शॉट खेलने में विश्वास रखते हैं। उनके इस तरीके से सामने वाले अटैक की समझ में नहीं आता है कि वह करें तो क्या? फाइनल में ही ऐसा कुछ हुआ। उन्होंने 83 गेंदों में सात  चौकों और तीन छक्कों से 76 रन बनाकर भारत को एकतरफा जीत की तरफ बढ़ा दिया था। पर रचिन रविंद्र की एक गेंद पर बेवजह आगे निकलकर खेलने के प्रयास स्टंप होकर भारत को कुछ समय के लिए मुश्किल में डाला। 

भारत बल्लेबाजी में गहराई की वजह से जीत गया पर रोहित ने ऐसा नहीं किया होता तो वह फाइल में शतक बनाने वाले बनने के साथ और सहजता से टीम को जीत तक पहुंचा सकते थे। रोहित की इस पारी और कोहली के पाकिस्तान के खिलाफ जीत में जमाए शतक से अब इन दो दिग्गजों के संन्यास के लिए दबाव बनाने वाले आलोचकों के मुंह जरूर सिल गए हैं। इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं कि भारत की जीत के लिए इन दोनों का चलना बेहद जरूरी है। यह सही है कि हर खिलाड़ी को एक न एक दिन संन्यास लेना ही पड़ता है पर जब खिलाड़ी अच्छा खेल रहा हो तो उस पर छोड़ने के लिए दबाव बनाने को कतई उचित नहीं कहा जा सकता है। 

मनोज चतुर्वेदी


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