आधी आबादी : तेजी से बढ़ रही कैंसर मृत्यु दर

Last Updated 04 Mar 2025 12:31:45 PM IST

कैंसर आज भारत सहित पूरी दुनिया में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए हालिया विश्लेषण में यह खुलासा हुआ है कि भारत में कैंसर से होने वाली मौतों की दर चिंताजनक रूप से बढ़ रही है, विशेष रूप से महिलाओं में यह दर पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है।


आधी आबादी : तेजी से बढ़ रही कैंसर मृत्यु दर

ग्लोबोकैन 2022 के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं में कैंसर से मृत्यु दर में 1.2 फीसद से 4.4 फीसद तक वार्षिक वृद्धि हुई है, जबकि पुरु षों में यह वृद्धि 1.2 फीसद से 2.4 फीसद तक रही है।

ये आंकड़े न केवल एक स्वास्थ्य आपातकाल की ओर संकेत कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक और चिकित्सा व्यवस्था की कमियों को भी उजागर करते हैं। महिलाओं में कैंसर से बढ़ती मृत्यु दर एक जटिल समस्या है, जो केवल जैविक या चिकित्सीय कारणों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, आर्थिक, जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच की भी बड़ी भूमिका है। भारत में हर पांच में से तीन लोग कैंसर के निदान के बाद अपनी जान गंवा देते हैं। यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि कैंसर न केवल एक गंभीर रोग है, बल्कि भारत में इसका उपचार भी उतना प्रभावी नहीं हो पा रहा है। खासकर महिलाओं में यह स्थिति अधिक गंभीर होती जा रही है।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देतीं। परिवार की जिम्मेदारियां, सामाजिक दबाव, और आर्थिक निर्भरता उन्हें समय पर जांच और इलाज कराने से रोकते हैं। कई बार कैंसर के शुरु आती लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे बीमारी तब पकड़ी जाती है जब यह अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी होती है। महिलाओं में कैंसर की बढ़ती दर के पीछे कई महत्त्वपूर्ण कारण हैं।

सबसे पहले, जागरूकता की भारी कमी एक प्रमुख कारण है। स्तन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर जो भारत में महिलाओं में सबसे आम हैं, यदि प्रारंभिक अवस्था में पकड़ लिए जाएं, तो इनका इलाज संभव है, लेकिन दुर्भाग्यवश महिलाओं में नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की आदत नहीं होती। आधुनिक जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियों की कमी, असंतुलित आहार, धूम्रपान, शराब का सेवन, और अत्यधिक तनाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।

पहले के समय में महिलाएं अधिक शारीरिक श्रम करती थीं और उनका खान-पान भी पारंपरिक और पोषक तत्वों से भरपूर होता था, लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह सब धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन, व्यायाम की कमी, और मानसिक तनाव ने महिलाओं में कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है। एक और महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि महिलाओं में कैंसर के कई मामले अनुवांशिक और हार्मोनल असंतुलन से भी जुड़े होते हैं। स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और अंडाशय (ओवेरियन) कैंसर मुख्य रूप से हार्मोनल परिवर्तन और अनुवांशिक प्रवृत्तियों के कारण होते हैं।

महिलाओं में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, अंडाशय (ओवेरियन) कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल हैं। ये पांच कैंसर भारत में महिलाओं की कैंसर मृत्यु दर का 44 फीसद हिस्सा बनाते हैं। स्तन कैंसर सबसे आम है और इसकी मृत्यु दर भी अधिक है, क्योंकि यह देर से पहचाना जाता है। इस गंभीर समस्या का समाधान केवल चिकित्सा उपचार तक सीमित नहीं हो सकता।

इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, जिससे महिलाओं को समय पर जांच और इलाज कराने के लिए प्रेरित किया जा सके। महिलाओं को स्वयं अपनी सेहत को प्राथमिकता देने की मानसिकता विकसित करनी होगी। साथ ही, सरकार को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए मोबाइल हेल्थ वैन, नि:शुल्क कैंसर जांच शिविर, और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता है।

भारत में कैंसर की रोकथाम और इलाज को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना होगा। सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक जांच और उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं भी समय पर इलाज करा सकें। इसके अलावा, एचपीवी वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सके।

महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना भी आवश्यक है। यह केवल एक चिकित्सा समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दा भी है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार, स्वास्थ्य संगठनों, समाज और स्वयं महिलाओं को मिलकर प्रयास करने होंगे। महिलाओं के जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके और भारत को स्वस्थ राष्ट्र बनाया जा सके।

नृपेन्द्र अभिषेक नृप


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment