आयकर सुधार : ऐतिहासिक पहल है ये

Last Updated 01 Mar 2025 01:19:44 PM IST

इन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोक सभा में पेश किया गया नया आयकर विधेयक भारत की आयकर व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता के साथ-साथ राजस्व बढ़ाने की बड़ी कोशिश का अहम हिस्सा है।


आयकर सुधार : ऐतिहासिक पहल है ये

वित्त मंत्री ने पिछले वर्ष जुलाई, 2024 के बजट भाषण में कहा था कि आयकर कानून की कई धाराएं प्रासंगिकता खो चुकी हैं। ये धाराएं विशेष आर्थिक क्षेत्र, दूरसंचार, पूंजीगत लाभ सहित कर छूट एवं कटौती जैसे मामलों में कारगर नहीं रह गई थीं। कानूनी जटिलताएं भी कर अनुपालन में उभरीं और मुश्किलों व मुकदमेबाजी का सबब बनीं। नया आयकर विधेयक कानून बनने के बाद आयकर कानून, 2025 के रूप में एक अप्रैल, 2026 से मौजूदा आयकर कानून, 1961 की जगह ले लेगा।

गौरतलब है कि 1961 में मौजूदा आयकर कानून लागू किए जाने के बाद से अब तक आयकर कानून की विभिन्न कमियों को दूर करने के लगातार प्रयास किए जाते रहे। खास तौर से 1981 में कंप्यूटरीकरण की शुरु आत के साथ हुई तकनीकी प्रगति ने इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयकर चालान की प्रोसेसिंग करने पर ध्यान केंद्रित किया। इस परिप्रेक्ष्य में 2009 में ई-फाईल और पेपर रिटर्न की व्यापक प्रोसेसिंग को संभालने के लिए सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) की स्थापना की गई। पिछले एक दशक से आयकर कानून में जो अहम सुधार किए गए हैं, उनसे जहां आयकरदाताओं को सुविधा मिली वहीं उनकी संख्या बढ़ाने में भी मदद मिली। इन सुधारों में प्रमुख रूप से करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर) और पहचानरहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) तथा करदाताओं के लिए पहचानरहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था महत्त्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, नॉन फाइलर्स, मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमए) के जरिए ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिन्होंने हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन किया है पर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है। इन विभिन्न प्रयासों से पिछले 10 वर्षो में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या और आयकर संग्रह में तेज वृद्धि देखी गई है। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में उद्योग-कारोबार सेक्टर में कार्यरत रहते हुए कमाई करने वाले, महंगी आरामदायक और विलासिता की वस्तुओं का उपयोग करने वाले तथा पर्यटन के लिए विदेश यात्राएं करने वालों में से भी बड़ी संख्या में लोग या तो आयकर न देने का प्रयास करते हैं, या फिर बहुत कम आयकर देते हैं।

स्थिति यह है कि 2023-24 में देश के 140 करोड़ से अधिक लोगों में से सिर्फ  8.09 करोड़ लोगों ने ही आयकर रिटर्न दाखिल किए। इनमें से भी 4.90 करोड़ लोगों ने शून्य कर योग्य आय की सूचना दी। सिर्फ  3.19 करोड़ लोगों ने ही आयकर दिया है। ऐसे में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आयकर का योगदान कम बना हुआ है। दुनिया की कई छोटी-छोटी अर्थव्यवस्थाओं में संग्रहित किए जाने वाले आयकर का उनकी जीडीपी में बड़ा योगदान है। वस्तुत: कर संग्रह में तेज वृद्धि से बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की क्षमता बढ़ती है।

सरकार की मुट्ठिी में बढ़ता कर राजस्व न केवल अर्थव्यवस्था के नवनिर्माण में मदद करता है, बल्कि सरकार को अपने करदाताओं के प्रति जवाबदेह भी बनाता है। यह वित्तीय वर्ष की बेहतर योजना और बजट बनाने में भी मदद करता है। खास तौर से इस समय जब 2047 में देश को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा गया है, तब जीडीपी में आयकर का योगदान बढ़ाया जाना जरूरी दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि आयकर संबंधी विभिन्न मुश्किलों और चुनौतियों के निराकरण के लिए नये आयकर विधेयक में प्रभावी प्रावधान दिखाई दे रहे हैं। नये आयकर विधेयक को संक्षिप्त, स्पष्ट तथा पढ़ने-समझने में आसान बनाते हुए 23 अध्यायों में समेटा गया है।

इस विधेयक में 622 पृष्ठ हैं, जबकि मौजूदा कानून में 823 पृष्ठ हैं। शब्द संख्या भी घटाई गई है। मौजूदा कानून के 5.20 लाख शब्दों से घटा कर नये विधेयक में केवल 2.60 लाख शब्द रखे गए हैं। मौजूदा कानून में आरंभ में केवल 298 धाराएं थीं, मगर प्रावधान जुड़ते गए और अब कुल 819 धाराएं हो गई हैं। नये विधेयक ने इन्हें घटा कर 536 कर दिया है। नये आयकर विधेयक में ‘चार्टर ऑफ टैक्सपेयर्स’ है, जिससे कर व्यवस्था में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ेगी।

वेतनभोगी करदाताओं के लिए विभिन्न प्रावधानों को सहज बनाते हुए हर तरह की कटौती को एक ही धारा के तहत रख दिया गया है। नये विधेयक में मुकदमेबाजी कम करने और टैक्स मामलों को जल्दी सुलझाने पर ध्यान दिया गया है। पुराने कानून में इस्तेमाल किए गए जटिल शब्दों को सरल बना दिया गया है। अब ‘असेसमेंट ईयर’ की जगह ‘टैक्स ईयर’ होगा। टैक्स ईयर एक अप्रैल से 31 मार्च तक रहेगा। अब क्रिप्टोकरंसी और अन्य डिजिटल असेट्स को ‘कैपिटल असेट’ माना जाएगा और उन पर टैक्स लगाया जाएगा। इससे डिजिटल संपत्तियों पर टैक्स सिस्टम के बारे में अधिक स्पष्टता आएगी। नये टैक्स रिजीम के साथ ओल्ड टैक्स रिजीम भी जारी रहेगा। नये आयकर विधेयक में आयकर अधिकारियों के अधिकारों और शक्तियों को बढ़ाया गया है। विधेयक में गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना लगाना सुनिश्चित किया गया है।

जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इन सबसे आयकर संग्रहण बढ़ेगा और ईमानदार करदाताओं को लाभ होगा। निश्चित रूप से एक अप्रैल, 2026 से लागू होने वाले नये आयकर कानून की वास्तविक सफलता इस बात पर निर्भर होगी कि इस कानून को कितने कारगर तरीके से लागू किया जाता है। इस कानून की वास्तविक परीक्षा यह भी होगी कि नया टैक्स रिजीम कर संबंधी मुकदमों में कितनी कमी लाएगा। निस्संदेह व्यक्तिगत आयकर के मामले में सरकार ने नई कर प्रणाली लागू करके बेहतर किया है, लेकिन रियायतों और कर दरों का ढांचा अब भी जटिल बना हुआ है। इसे सरल बनाने के लिए सरकार को प्राथमिकता से ध्यान देना होगा।
(लेख में विचार निजी हैं)

डा. जयंतीलाल भंडारी


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