डंकी रूट : स्वर्गिक आनंद के लिए नारकीय मार्ग
हाल में अमेरिका से 104 आप्रवासी भारतीयों को हथकड़ियां और बेड़ियां लगा कर भारत डिपोर्ट कर दिया गया।
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ये 104 उन लोगों में से थे जो या तो अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे या अपनी वीजा अवधि समाप्त होने के वे पश्चात वहीं रह रहे थे और अमेरिकी प्रशासन के कड़े आव्रजन नियमों की गिरफ्त में आ गए।
अवैध रूप से अमेरिका जाने का जो तरीका सबसे अधिक चर्चा में है, उसे ‘डंकी रूट’ कहा जाता है। इस रूट के जरिए अमेरिका पहुंचने की कोशिश करने वालों को जोखिमों का सामना करना पड़ता है-जान का खतरा, लूट-खसोट, यौन शोषण, गिरोहों द्वारा बंधक बनाए जाने जैसी घटनाएं आम हैं। सच्चाई यह है कि यह स्वर्गिक आनंद उठाने का नारकीय मार्ग है। जो व्यक्ति डंकी रू ट से अमेरिका जाने की योजना बनाता है, उसे औसतन 40 से 50 लाख रु पये खर्च करने पड़ते हैं। यह पैसा एजेंटों, फर्जी दस्तावेज, यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं में लग जाता है। लेकिन इस मोटी रकम के बावजूद कोई गारंटी नहीं कि व्यक्ति सुरक्षित अमेरिका पहुंच ही जाएगा।
अमेरिका तक पहुंचने के लिए कई देशों से होते हुए बेहद खतरनाक सफर तय करना पड़ता है। इसमें आम तौर पर दुबई, रूस, यूरोप, दक्षिण अमेरिका और फिर मैक्सिको जैसे देशों का रास्ता लिया जाता है। मैक्सिको से अमेरिका की सीमा पार करना सबसे खतरनाक पड़ाव होता है। यहां कई बार लोगों को मानव तस्कर गिरोहों के हाथों लूट लिया जाता है, महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं आम हैं, और कई बार लोगों को बंदी बना कर फिरौती मांगी जाती है। यह यात्रा इतनी कठिन होती है कि कई लोग इसे पूरा करने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। अमेरिका और मैक्सिको की सीमा पर रेगिस्तान और जंगलों में हर साल सैकड़ों शव पाए जाते हैं, जो इस खतरनाक सफर की भयावहता दर्शाते हैं।
अगर कोई खतरनाक सफर के बाद अमेरिका पहुंच भी जाता है, तो भी मुश्किलें खत्म नहीं होतीं। उसे या तो राजनीतिक शरण का दावा करना पड़ता है या कोई और बहाना बनाना पड़ता है ताकि अमेरिका में रह सके। राजनीतिक शरण पाने के लिए लोग अक्सर झूठे दावे करते हैं। कई लोग भारत में राजनीतिक उत्पीड़न का झूठा दावा करते हैं-कहते हैं कि उनकी जान को खतरा है, उनके परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है, या भारत में उन्हें धार्मिंक या जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। कुछ तो यहां तक कह देते हैं कि उनके अपने माता-पिता ही उनके दुश्मन हैं ताकि वे अमेरिका में अपने ठहरने के लिए कोई ठोस आधार बना सकें। हालांकि, अमेरिका की नई आव्रजन नीति अब ऐसे झूठे दावों को परखने के लिए और अधिक सख्त हो चुकी है। किसी का दावा गलत पाया जाता है, तो उसे न सिर्फ डिपोर्ट कर दिया जाता है, बल्कि आजीवन अमेरिका में प्रवेश की अनुमति भी नहीं मिलती।
भारत में, खासकर पंजाब, गुजरात और हरियाणा में, हजारों एजेंट सक्रिय हैं, जो लोगों को अमेरिका, कनाडा और यूरोप भेजने का झांसा देते हैं। ये एजेंट लोगों से 30-50 लाख रु पये तक वसूलते हैं, और उन्हें यकीन दिलाते हैं कि वे किसी न किसी तरह अमेरिका पहुंच ही जाएंगे। लेकिन वे किसी की सुरक्षा या कानूनी स्थिति की गारंटी नहीं देते। जब लोग किसी मुसीबत में फंसते हैं, तो एजेंट उनसे कोई संपर्क नहीं रखते और कई बार फरार हो जाते हैं। जो लोग डंकी रूट से अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं, वे अपनी ही नहीं, बल्कि अपने परिवार की जिंदगी भी दांव पर लगा देते हैं। जब डिपोर्ट हो जाते हैं, तो उनका परिवार आर्थिक संकट में आ जाता है। घर-जमीन तक बिक जाते हैं, कर्ज का बोझ बढ़ जाता है, और समाज में बदनामी का डर अलग से रहता है। डंकी रूट पर गए कई लोग रास्ते में लापता भी हो जाते हैं, या मारे जाते हैं। उनके परिवार वर्षो तक नहीं जान पाते कि उनके बेटे या भाइयों का क्या हुआ।
अवैध आप्रवासन की समस्या से निपटने के लिए जरूरी है कि लोगों को इसके खतरों के बारे में जागरूक किया जाए। सरकार को भी चाहिए कि ऐसे एजेंटों पर कड़ी कार्रवाई करे और युवाओं के लिए देश में ही रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करे। युवाओं को भी समझना होगा कि विदेश जाकर पैसा कमाना आसान रास्ता नहीं है। अगर वे कानूनी तरीके से विदेश जाना चाहते हैं, तो उन्हें सही प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। अवैध आप्रवासन को उचित नहीं ठहराया जा सकता। अवैध आप्रवासन का अंत दुखद ही होता है। यह सपना भले ही सुनहरा दिखे, लेकिन इसकी असलियत बेहद भयावह होती है। भारत के युवाओं को सोचना होगा कि क्या वे वाकई अपनी जिंदगी को इस तरह के जोखिम में डालना चाहते हैं? या फिर वे कानूनी और सुरक्षित रास्तों को अपना कर अपने भविष्य को बेहतर बनाना चाहेंगे? फैसला उनके हाथ में है।
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