भारतपोल पोर्टल : भगोड़ों की अब खैर नहीं
भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए - LEA) के लिए आपराधिक मामलों में इंटरपोल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए विशेष रूप से भारतपोल पोर्टल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लॉन्च किया गया है।
भारतपोल पोर्टल : भगोड़ों की अब खैर नहीं |
यह पोर्टल भारत में आपराधिक घटनाओं के वांछित भगोड़ों के विरुद्ध ‘लाल’ तथा अन्य रंग कोडित नोटिस जारी करने के अनुरोधों को सुगम बनाता है। केंद्रीय अन्वेषण व्यूरो (सीबीआई) द्वारा बनाए गए इस पोर्टल की महत्त्वपूर्ण विशेषता रीयल टाइम इंटरफेस है।
अभी तक इंटरपोल के साथ काम करने वाली एकमात्र एजेंसी सीबीआई होती थी किंतु भारतपोल लॉन्च होने से हर भारतीय एजेंसी और सभी राज्यों की पुलिस अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन (इंटरपोल) के साथ जुड़ सकेंगी। पोर्टल और तीन नये आपराधिक कानून विदेश भागे अपराधियों को पकड़ने का मजबूत माध्यम सिद्ध हो सकेंगे। गृह मंत्रालय के अनुसार भारतपोल वास्तविक समय पर सूचना साझा करने और अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहायता तक तेजी के साथ पहुंच को सक्षम करके केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और राज्यों की पुलिस के बीच इस प्रकार से समन्वय स्थापित करेगा कि अपराधी की तलाश एवं वापसी की प्रक्रिया और भी सुगम हो जाएगी।
गृह मंत्री ने कहा कि नया पोर्टल केंद्रीय और राज्य जांच एजेंसियों को इंटरपोल में 195 सदस्य देशों से अपने मामलों की सीधे तौर पर जानकारी साझा करने और उनसे जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देगा। नई दिल्ली के भारत मंडपम में संपन्न सीबीआई के अलंकरण समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में ‘भारतपोल’ की शुरुआत के साथ भारत अंतरराष्ट्रीय जांच में नये युग की शुरुआत कर रहा है। ‘भारतपोल’ नेटवर्क के माध्यम से 195 देशों के साथ मादक पदाथरे, हथियारों, मानव तस्करी और सीमा पार के अनेक अपराधों से संबंधित घटनाओं से निपटने के लिए सहयोग संभव हो सकेगा। अंतरराष्ट्रीय अपराधों का विश्लेषण करने, उन पर लगाम लगाने से संबंधित तथा अपराधियों को पकड़ने में इससे सहयोग मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि फिलहाल राज्यों की पुलिस विदेश भाग चुके अपराधियों का पता लगाने और तत्पचात उनके प्रत्र्यापण के लिए केस दर केस फैसला करती हैं। इससे विदेश में रह रहे अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई समय पर सुनिश्चित नहीं हो पाती।
अभी तक राज्यों की पुलिस को विदेश भागे भगोड़े के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस अथवा अन्य नोटिस जारी करने के लिए सीबीआई से ई-मेल, पत्र व्यवहार अथवा फैक्स के माध्यम से संपर्क करना पड़ता था। मामलों के फॉलोअप में भी यही तरीका अपनाना होता था। भारतपोल प्रारंभ हो जाने से यह व्यवस्था बदल जाएगी। इस पोर्टल पर किसी अपराधी के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए आवेदन किया जा सकता है, जो सीबीआई की मार्फत तत्काल इंटरपोल तक पहुंच जाएगा। पोर्टल पर ही किसी केस की मौजूदा स्थिति को भी देखा जा सकता है अर्थात देश के सुदूर कोने से भी राज्य पुलिस अथवा कोई अन्य जांच एजेंसी विदेश भागे अपराधी का पता लगाने के लिए सरलता एवं शीघ्रता से इंटरपोल तक पहुंच सकती है। पोर्टल के माध्यम से ऐसे अपराधियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जा सकेगी जो दूसरे देशों में अपराध करने के पश्चात भारत में छिप कर रह रहे हैं। अत: देश की जांच एजेंसियों को भारतपोल का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए ताकि अपराधियों को ढूंढ लाना संभव हो सके। तीनों आपराधिक कानून लागू होने से अपराधियों के विरुद्ध उनकी अनुपस्थिति में भी ट्रायल करने का रास्ता साफ हो गया है।
उल्लेखनीय है कि आधुनिक तकनीक से बने भारतपोल पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन के 19 प्रकार के डाटा बेस उपलब्ध हैं, जो अपराधों का गहन विश्लेषण अथवा मीमांसा करने, अपराध रोकने और अपराधियों को पकड़ने में सशक्त सहयोगी सिद्ध हो सकेंगे। वास्तव में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी पण्रालियों एवं तंत्रों को उन्नत करने की सामयिक आवश्यकता थी और भारतपोल उस दिशा में समयोचित कदम कहा जा सकता है। गृह मंत्री शाह ने कहा कि भारतपोल के पांच प्रमुख मॉड्यूल-कनेक्ट, इंटरपोल नोटिस, संदर्भ, प्रसारण और संसाधन-हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को समर्थन देने के लिए तकनीकी मंच प्रदान करते हैं। कनेक्ट के माध्यम से हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियां अनिवार्य रूप से इंटरपोल के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी, नई दिल्ली) के विस्तार के रूप में कार्य करेंगी। यह प्रणाली इंटरपोल नोटिस के अनुरोधों पर त्वरित, सुरक्षित और संरक्षित प्रसारण सुनिश्चित करेगी जिससे भारत के भीतर एवं बाहर अपराधियों का तेजी से पता लगाने के लिए वैज्ञानिक तंत्र सक्षम होगा और समय पर अपराधियों पर नकेल डाली जा सकेगी।
निस्संदेह भारतपोल पोर्टल इंटरपोल डेटाबेस तक पहुंचेगा जिससे अधिकारी डाटा का विश्लेषण करने, अपराध रोकथाम रणनीति विकसित करने और अपराधियों को और अधिक प्रभावी ढंग से पकड़ने और पता लगाने में सक्षम होंगे। वास्तव में इस दौर में साइबर अपराध की दुनिया में अनवरत उभरतीं चुनौतियों का तीव्रता, निपुणता तथा दक्षता से समाधान करने की प्रणाली की क्षमता को त्वरित गति की जरूरत भी है। निश्चित ही भारत की इस क्षेत्र में पहल क्रांतिकारी परिणाम दे सकेगी जिसमें जांच प्रक्रियाओं को फिर से परिभाषित करने और कानून प्रवर्तन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता निहित है। भारतपोल का उद्देश्य इंटरपोल के साथ संवाद को सीधे तौर पर सरल, सुलभ, सक्षम, समयबद्ध और तीव्र गति से सुविधाजनक बनाना है। 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प चरितार्थ करने वाला यह महत्त्वपूर्ण कालखंड भी है। अत: हमें अपनी वर्तमान चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी व्यवस्थाओं को अपग्रेड करना होगा। भारत की समृद्धि और सुरक्षा के साधन सम-सामयिक बनाने पर विशेष बल देना होगा ताकि समय रहते समस्या का समाधान संभव हो सके।
(लेख में विचार निजी हैं)
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