मुद्दा : बुजुर्गों के स्वास्थ्य की चिंता जरूरी

Last Updated 21 Jan 2025 01:09:31 PM IST

हाल ही में सऊदी अरब के रियाद में ग्लोबल हेल्थ स्पैन शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने खुलकर चर्चा की। सम्मेलन में सबसे अहम बात बुजुर्गों के स्वास्थ्य की चिंता के रूप में उभरकर सामने आई।


मुद्दा : बुजुर्गों के स्वास्थ्य की चिंता जरूरी

सम्मेलन में करीब दो हजार से अधिक वैज्ञानिक, उद्यमी, नीति निर्माता और विचारक एकत्रित हुए। उन्होंने बुजुर्ग होते समाज के भविष्य के समक्ष आने वाले महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर गहनता से चर्चा की। उनका कहना है कि दुनिया में स्वस्थ वृद्धावस्था के अप्रयुक्त अवसरों के साथ-साथ उभरते हस्तक्षेप, प्रौद्योगिकी, नीतिगत परिवर्तन और भविष्य के लिए आवश्यक निवेश पर खुलकर चर्चा की जानी चाहिए। सम्मेलन में यह बात भी सामने आई कि आज वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा 73.4 वर्ष है, जिसके बढ़कर सौ साल होने की उम्मीद की जा सकती है।

वक्ताओं ने कहा कि जीवन प्रत्याशा में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद हमारे जीवन के अंतिम वर्ष अक्सर दीर्घकालिक बीमारी में गुजर रहे हैं। उम्र बढ़ने के साथ कई पूर्वाग्रह और बुढ़ापे को सामाजिक और आर्थिक बोझ के रूप में पेश करने की कहानी सामने आ रही है। कोलंबिया विविद्यालय में प्रोफेसर जॉन आर. बिर्यड ने कहा कि कामकाजी उम्र की आबादी में वृद्ध आश्रितों की संख्या का अनुपात नकारात्मक धारणाओं को मजबूत करता है और समाज में वृद्ध वयस्कों के सार्थक योगदान को नजरअंदाज करता है।

अमेरिका और यूरोप में वृद्ध वयस्क भुगतान किए गए काम, स्वयं सेवा और देखभाल के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद का अनुमानित सात फीसद योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि वृद्ध आबादी आर्थिक स्थिरता और नवाचार के लिए भी एक अप्रयुक्त शक्ति हो सकती है। अमेरिका में 50 से अधिक उम्र के उद्यमियों की संख्या साल 2007 के मुकाबले साल 2024 में दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक जीने से हमें रिटायरमेंट शब्द से भी रिटायर होना पड़ सकता है। अनुमानित जीवनकाल शताब्दी के करीब पहुंचने के साथ हम उम्मीद कर सकते हैं कि हमारा कामकाजी जीवन अतिरिक्त 20-40 वर्षो तक बढ़ जाएगा। यह शिक्षा और काम के बारे में हमारी सोच को फिर से परिभाषित करेगा। वहीं कार्यबल में बने रहने के कारण अर्थशास्त्र से परे भी है।

इस बात के बढ़ते प्रमाण हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद काम करने से हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम होता है। साथ ही मानसिक प्रगति और सामाजिक जुड़ाव भी मिलता है। उन्होंने कहा कि वृद्ध लोगों को समाज के मूल्यवान सदस्य के रूप में स्वीकार करने के लिए नकारात्मक रूढ़िवादिता को समाप्त करना होगा तथा लंबी आयु के लाभों के बारे में सार्वजनिक धारणा को व्यक्तियों, समाजों और अर्थव्यवस्था तक पहुंचाना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि विकसित देशों में स्वास्थ्य सेवा की लागत का बड़ा हिस्सा उम्र बढ़ने और उम्र से संबंधित बीमारियों से प्रेरित है। फिर भी उम्र बढ़ने और स्वास्थ्य अवधि विज्ञान को बहुत कम धन उपलब्ध है।

अमेरिका अल्जाइमर रोग के इलाज पर सालाना लगभग 305 बिलियन डॉलर खर्च करता है। यह आंकड़ा 2050 तक 1.1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। यूएस रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र का अनुमान है कि हृदय रोग और स्ट्रोक के कारण देश को स्वास्थ्य सेवा व्यय और उत्पादकता हानि के रूप में प्रतिवर्ष 363 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। मधुमेह के कारण अनुमानित वार्षिक स्वास्थ्य और आर्थिक बोझ 327 बिलियन डॉलर है, जबकि गठिया और संबंधित बीमारियों के कारण होने वाला खर्च 303 बिलियन डॉलर से अधिक है। वहीं देश वृद्धावस्था के लक्षणों के उपचार पर अरबों डॉलर खर्च करता है। अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के वार्षिक अनुसंधान बजट का एक प्रतिशत से भी कम या 337 मिलियन डॉलर वृद्धावस्था के जीव विज्ञान को समझने में खर्च होता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि उम्र बढ़ने के मूल कारणों को संबोधित करने से व्यक्तिगत बीमारियों को लक्षित करने की तुलना में निवेश पर अधिक लाभ मिल सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि विश्व की जनसांख्यिकी संरचना में परिवर्तन हो रहा है तथा अनुमान है कि 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या 2050 तक दोगुनी हो जाएगी। वहीं देरी से कार्रवाई करने पर जीवन की गुणवत्ता कम हो जाएगी और अतिरिक्त वर्ष अस्वस्थता में गुजारने पड़ेंगे, जबकि युवा लोगों को अपने परिवार के सदस्यों की देखभाल की जिम्मेदारी उठानी होगी। वृद्ध होते समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा वृद्धावस्था के प्रति विश्व के दृष्टिकोण में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। स्वस्थ वृद्धावस्था को बढ़ावा देने वाले नीतिगत समायोजन, रोकथाम और निवेश को प्राथमिकता देने वाली स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियां तथा समस्त मानवता को लाभ पहुंचाने की क्षमता रखने वाली चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने के वैश्विक सहयोग के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।

अमित बैजनाथ गर्ग


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