विदेशी निवेश : प्रवासियों पर दारोमदार

Last Updated 20 Jan 2025 11:10:52 AM IST

हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 जनवरी को ओडिशा के भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय जहां प्रवासी भारतीय भारत के विकास में बड़ा योगदान दे रहे हैं, वहीं भारत के टैलेंट का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है।


विदेशी निवेश : प्रवासियों पर दारोमदार

हमारे प्रोफेशनल दुनिया की बड़ी कंपनियों के जरिए ग्लोब में अपना अभूतपूर्व योगदान रहे हैं। वस्तुत: विदेशों में भारतीय  प्रवासी भारत के राजदूत हैं, और अपने-अपने देशों में प्रभाव रखते हैं। ऐसे में भारत ने 2024 तक विकसित देश बनने का जो लक्ष्य रखा है, उसे पाने के लिए प्रवासी भारतीयों से सहयोग अपेक्षित है। अपेक्षा है कि वे भारत की विभिन्न परियोजनाओं में स्वयं निवेश करें और अपने विदेशी मित्रों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

उल्लेखनीय है कि 18वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद प्रवासी भारत के विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए हैं। सम्मेलन में शामिल कई प्रवासी उद्यमी और कारोबारी कहते हुए दिखाई दिए कि वर्ष 2025 में भारतीय प्रवासियों से एफडीआई से संबंधित उजली संभावनाओं को मुट्ठी में लेने के लिए जरूरी होगा कि भारत विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने, नियामक बाधाएं हटाने, बुनियादी ढांचे के विकास, व्यापार-कारोबार में बेहतरी, निवेश की क्षेत्रीय सीमाओं को उदार बनाने, नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, नौकरशाही संबंधी बाधाओं को कम करने और कॉरपोरेट को उनके विवादों को सुलझाने में मदद करने के लिए न्यायिक परिवेश बेहतर बनाने की डगर पर आगे बढ़े।

गौरतलब है कि प्रवासी भारतीयों ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जिसके मुताबिक देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह अप्रैल, 2000 से सितम्बर, 2024 तक 1000 अरब डॉलर को पार कर गया। खास तौर से चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से सितम्बर, 2024 के दौरान 42.1 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया। यह निवेश 60 सेक्टर, 31 राज्य और केंद्रशासित क्षेत्रों में रहा है तथा एफडीआई का यह अब तक का रिकॉर्ड प्रवाह है। खास बात यह भी है कि 2014 के बाद से अब तक पिछले 10 वर्षो में 667.4 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। भारत के आर्थिक विकास की यात्रा में एफडीआई का यह विशाल आकार बड़ी उपलब्धि है। यह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी दिखाता है। यदि हम भारत में एफडीआई के स्रेत देशों की ओर देखें तो पाते हैं कि भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा स्रेत मॉरीशस रहा है। मॉरीशस नेकुल विदेशी निवेश में 25 प्रतिशत का योगदान दिया है। सिंगापुर 24 प्रतिशत एफडीआई के साथ दूसरे स्थान पर है। अमेरिका 10 प्रतिशत निवेश के साथ तीसरे स्थान है। बड़े निवेशक देशों में नीदरलैंड्स, जापान और ब्रिटेन भी शामिल हैं।  

भारत में जिन क्षेत्रों में विदेशी निवेश आकर्षित हुआ है, उनमें आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज, टेलीकम्युनिकेशंस, ट्रेडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कंसल्टेंसी सहित सर्विस सेक्टर प्रमुख सेक्टर हैं। निस्संदेह देश को विदेशी निवेश का पसंदीदा देश बनाने में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, आर्थिक और वित्तीय सुधारों की अहम भूमिका है। इसमें दो मत नहीं हैं कि प्रवासी भारतीय इस बात से वाकिफ हुए हैं कि वैश्विक स्तर पर सुस्त बाजारों और चीन की आर्थिक रफ्तार सुस्त होने के बीच भारत ने विदेशी निवेश प्राप्त करने का अब तक शानदार मुकाम हासिल किया है। विनिर्माता और निवेशक चीन का विकल्प तलाश रहे हैं, और इस समय एशिया में अधिकांश निवेशकों को भारत से बेहतर कोई देश नहीं दिख रहा। देश की अर्थव्यवस्था की चाल में लगातार सुधार और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) से अच्छा निवेश प्राप्त होने की बदौलत भारतीय शेयरों में तेजी दर्ज की जा रही है। देश में शेयर बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया है। विदेशी निवेश की बदौलत भारत विश्व में नई परियोजनाओं की घोषणा करने वाला तीसरा देश बन गया है, और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

निश्चित रूप से देश का बढ़ता मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश में एफडीआई की बड़ी ताकत बन गया है। मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट में चीन दुनिया में पहले स्थान पर है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी भारत 456 अरब डॉलर  विनिर्माण  मूल्य के साथ दुनिया में पांचवें स्थान पर है तथा भारत नया विश्व मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जिस तरह सुविधाओं के साथ तेजी से बढ़ाया जा रहा है, उससे दुनिया भर के निवेशक भारत आने के लिए उत्सुक हैं। इस समय भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब इसे तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और भारत को विकसित देश बनाने की डगर पर आगे बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों द्वारा अहम भूमिका निभाई जा रही है। हम उम्मीद करें कि 2025 में सरकार प्रवासी भारतीयों और उनके विदेशी मित्रों से भारत के लिए अधिक एफडीआई प्राप्त करने के नये रणनीतिक प्रयास करेगी।

एफडीआई के लिए भारत को पसंदीदा देश बनाए जाने की बहुआयामी संभावनाओं को साकार करने के लिए भी सरकार और अधिक प्रयास करेगी। हम उम्मीद करें कि 2025 में भारत की विशाल कौशल-प्रशिक्षित युवा आबादी नवाचार, तकनीकी और डिजिटल नवोन्मेषों के साथ भारत को दुनिया के विदेशी निवेशकों की नजरों में और अधिक पसंदीदा देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे कदम बढ़ाएगी। हम उम्मीद करें कि 18वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद अब 2025 में प्रवासी भारतीयों और उनके विदेशी मित्रों से अधिक एफडीआई प्राप्त होने, भारत की नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना के कारगर कार्यान्वयन, नीतिगत सुधारों, उत्पादों के कारोबार के लिए सिंगल विंडो मंजूरी, इंफ्रास्ट्रक्चर, श्रमिकों के नये दौर के अनुरूप शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ-साथ विभिन्न आर्थिक और वित्तीय सुधारों से भारत दुनिया के पहले पांच सबसे पसंदीदा एफडीआई वाले देशों के ऊंचे क्रम पर रेखांकित होते हुए दिखाई देगा। इससे देश को 2047 तक विकसित देश बनाने की डगर पर आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी।

(लेख में विचार निजी हैं)

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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