कैंसर से बचाव आसान, संतुलित खानपान और व्यायाम से रहें सुरक्षित
कैंसर एक ऐसी बीमारी, जिसका नाम सुनते ही लोग सिहर उठते हैं। हालांकि, विज्ञान ने अब इसका उपचार खोज लिया है। इसके बावजूद जब किसी को पता चलता है कि वह इस बीमारी से ग्रसित है, तो उसे लगता है कि मानो अब उसकी दुनिया खत्म हो चुकी है।
कैंसर से बचाव संतुलित खानपान और व्यायाम |
इसी को देखते हुए हर साल ‘वर्ल्ड कैंसर डे’ मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए। इसके तहत लोगों को बताया जाता है कि वो कैसे खुद को इस बीमारी से बचा सकते हैं। इसके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं? आखिर जीवन शैली में किस तरह के बदलाव इस तरह की बीमारी का सबब बन सकते हैं? इस तरह की बीमारी से खुद को कैसे बचाएं ?
इन्हीं सब सवालों को लेकर आईएएनएस ने सीके बिड़ला अस्पताल के डॉ. पूजा बब्बर से खास बातचीत की।
वो बताती हैं कि हर साल चार फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। इसे साल 2000 से मनाया जा रहा है। सबसे पहले इसे मनाने की पहल एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ‘यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल’ ने की थी। यह संगठन लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करता है। यह संगठन लोगों को बताता है कि कैसे वो खुद को कैंसर के कहर से बचा सकते हैं। यह संगठन लोगों को कैंसर के बारे में पूरी जानकारी देता है। पेरिस में सबसे पहली बार 'कैंसर डे' को मनाए जाने की पहल शुरू की गई थी।
वो बताती हैं कि हम कैंसर को कई प्रकार में विभाजित कर सकते हैं। एक कार्सिनोमा है। यह आमतौर पर सॉलिड अंगों में होता है। जैसे लीवर, किडनी, स्टमक, दूसरा सॉफ्ट टीशू जैसे फैट, मांसपेशियां, मसल्स, इसे सारकोमा कहते हैं और एक होता है ब्लड कैंसर। इसे विज्ञान की भाषा में ल्यूकेमिया कहते हैं।
वो बताती हैं कि अगर हम कैंसर को एक सामान्य परिभाषा के तहत समझने की कोशिश करें, तो सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि कोई भी कोशिका अपनी निर्धारित गति के अनुरूप वृद्धि करती है, लेकिन जब किसी कारणवश वह अपने निर्धारित गति से हटकर तेज गति से वृद्धि करने लग जाए, तो उसे हम कैंसर कहते हैं।
डॉ. बताती हैं कि मुख्य रूप से किसी भी कैंसर के चार स्टेज होते हैं, लेकिन आज कल जीरो या यूं कहे कि पांच स्टेज भी आ चुके हैं। जैसे मेलेनोमा नामक कैंसर में स्टेज फाइव है और कुछ कैंसर में स्टेज जीरो भी होता है। इसमें कैंसर की शुरुआत होती है। इस स्थिति में चिंता की कोई बात नहीं होती है। शुरुआती दौर में एक परत होती है, जो बनना शुरू होती है, इसलिए हमारी यह कोशिश होती है कि हम किसी भी मरीज में कैंसर को जीरो स्टेज पर ही पकड़ लें, ताकि हम आसानी से उपचार कर या यूं कहे कि बिना कीमोथेरेपी के ही उसे ठीक कर सकें। रही बात स्टेज वन की, तो किसी भी मरीज में स्टेज वन उस स्थिति को कहते हैं, जब कैंसर अपने सामान्य रूप में हो। जैसे ब्रेस्ट कैंसर, अगर ब्रेस्ट में गांठ दो सेंटीमीटर से कम है, तो वो स्टेज वन में है। इसका मतलब यह है कि अभी उसकी बस शुरुआत हुई है। स्टेज टू उस स्थिति को कहते हैं, जब वो बढ़ना शुरू कर देता है। स्टेज दो में गांठ की लंबाई पांच से सात सेंटीमीटर तक पहुंच जाती है। हालांकि, इसका उपचार किया जा सकता है। स्टेज फोर में गांठ फैलना शुरू कर देता है। ऐसी स्थिति में मरीज का विधिवत रूप से उपचार करना होता है। यह सबसे खतरनाक स्टेज माना जाता है। ऐसे में आप मरीज का उपचार कर सकते हैं, लेकिन उसे पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकते हैं, लेकिन आज कल कुछ ऐसी तकनीक आ चुकी है, जिसके तहत आप मरीज का उपचार कर सकते हैं।
वहीं, उन्होंने कैंसर की वजहों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज से 40-50 साल पहले कैंसर बहुत कम लोगों को होता था, लेकिन आज कैंसर की बीमारी आम होती जा रही है, तो इसका सबसे प्रमुख कारण जीवनशैली में आया बदलाव है। खानपान व पर्यावरण में बदलाव कैंसर का एक प्रमुख कारण है। ऐसे में अगर हम चाहते हैं कि इससे बचे रहें, तो इसके लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होगा। इसके लिए आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि प्रदूषण से दूर रहें और मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें, क्योंकि सभी नशीलों पदार्थों में कारसीनो होता है, ये हमारी कोशिका को खत्म कर सकते हैं। वहीं, खानपान में पोषण का अभाव भी कैंसर का कारण बन सकती है।
| Tweet |