सुखबीर बादल पर हमला : गंभीर घटना है यह
अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल पर हमला किसी दृष्टि से छोटी घटना नहीं है।
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संयोग कहिए या सुखबीर बादल की अभी आयु बची है अन्यथा हमलावर ने गोली चला ही दी थी। सुरक्षाकर्मिंयों ने उसे त्वरित गति से नियंतण्रमें लिया और हाथ ऊपर उठा दिया वरना जितने निकट से गोली चलाई गई थी सीधे सुखवीर बादल की छाती या सिर में घुस जाती।
सुखबीर बादल को अन्य अकाली नेताओं के साथ श्रीअकाल तख्त साहिब की तरफ से 11 दिन की सेवा की धार्मिंक सजा सुनाई गई है। वे मुख्य प्रवेश द्वार पर बरछा लेकर व्हीलचेयर पर बैठे थे। उनकी सजा का दूसरा दिन था। इस समय सुखबीर बादल का पैर क्षतिग्रस्त है जिस कारण वह कुर्सी पर बैठ कर सेवा कर रहे हैं।
हमलावर 9 एमएम का ग्लोक रिवाल्वर लेकर इतने निकट पहुंच गया तो जांच होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ? वैसे यह दुर्भाग्य है कि कुछ नेताओं ने यही आरोप लगा दिया कि सुखबीर ने सहानुभूति लेने के लिए हमला कराया। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा है कि हम इस पहलू से भी जांच कर रहे हैं। हमले के तरीके और स्थिति को देखते हुए सामान्य व्यक्ति सोच भी नहीं सकता कि इसके पीछे सुखबीर बादल या स्वयं अकाली दल का ही कोई षड्यंत्र होगा।
गिरफ्तार हमलावर का नाम नारायण सिंह चौड़ा है जिसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकवादी कहा जा रहा है। वह डेरा बाबा नानक का रहने वाला है। नारायण सिंह चौड़ा पर आतंक और अपराध के अनेक आरोप हैं। जानकारी के अनुसार उस पर पाकिस्तान से भारी संख्या में हथियार लाने सहित करीब 30 मामले दर्ज हैं। वह तीन बार जेल जा चुका है और 3,139 दिनों तक जेल में रहने का उसका रिकॉर्ड है।
उसे 28 फरवरी, 2013 को दो अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके कुराली स्थित ठिकाने से काफी संख्या में हथियार और गोला बारूद बरामद हुए थे। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्योरा, जगतार सिंह तारा और देवी सिंह को 2004 में चंडीगढ़ की बुरैल जेल से भागने में मदद की थी।
ध्यान रखिए कि ये सब पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे हैं, जो जेल में सुरंग खोदकर फरार हो गए थे। हालांकि इस मामले में वह बरी किया जा चुका है। उस पर 8 मई ,2010 को परमजीत सिंह पंचवाड़ के ड्राइवर रहे रतनदीप सिंह के साथ अमृतसर में सर्किट हाउस के पास एक कार में आरडीएक्स रख कर धमाका करने की साजिश का भी आरोप लगा था।
तरण तारण, गुरदासपुर सहित अन्य जिलों में भी उस पर गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए सहित गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं। अंतिम बार वह 2022 में जमानत पर बाहर आया। चार दशक पहले उसके पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेने की भी बात सामने आई है। वहां उसने खालिस्तान नेशनल आर्मी का गठन किया था। वास्तव में आतंकवाद के शुरु आती चरण के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में वह शामिल रहा। पाकिस्तान में रहते हुए उसने गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर किताब भी लिखी। सुखबीर बादल पर हमले के बाद केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नवनीत सिंह बिट्टू का बयान है कि नारायण चौड़ा ने 2009 में उन पर भी हमला किया था। उनके अनुसार वह गाड़ी में आरडीएक्स लेकर घूमता था।
बिट्टू लगातार यह विषय उठा रहे हैं कि ऐसे आतंकवादियों को जेल से रिहा करना खतरनाक है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मामले में एसआईटी गठित कर दी है, जिसमें अमृतसर पुलिस कमिश्नर के साथ 5 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। आप सोचिए, इस तरह का खतरनाक व्यक्ति पंजाब में सरेआम घूम रहा है तो इसे किस रूप में देखा जाए? वह धर्म पर व्याख्यान देता है, पुस्तक के अलावा लेख, कविताएं लिखता है। उसमें क्या बातें होती होंगी इसकी आसानी से कल्पना की जा सकती है। अगर वह पूरे बादल परिवार को पंथ का गद्दार मानता है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। वह सरेआम बोलता रहा है कि उपमुख्यमंत्री के रूप में सुखबीर बादल, उनके पिता मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पंथ के विरु द्ध काम करते रहे हैं। ऐसी आतंकी सोच रखने वालों के लिए हर वह व्यक्ति पंथ का गद्दार होगा जो उसकी खालिस्तान संघर्ष की योजना का साथ न दे। उसने टीवी चैनल पर भी बादल परिवार को धमकी दी थी। सूचना यह है कि केंद्र सरकार भी इस संबंध में पुलिस को सचेत कर चुकी थी।
उसकी मानसिकता देखिए कि पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो हंस रहा था। वास्तव में चौड़ा अकेले नहीं है जो इस समय पंजाब में सरेआम घूमते हुए हिंसक वातावरण निर्माण कर रहा है। हमने पंजाब के शहरों में खालिस्तान समर्थकों को सरेआम झंडा लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा है। अमृतपाल सिंह का मामला सामने है। उसे किस तरह तैयार करके भारत भेजा गया यह भी सामने आ चुका है। वह सारेआम पूरे पंजाब में भारत विरोधी और आग लगने वाला बयान देता था, सभाएं करता था, उसका जगह-जगह स्वागत होता रहा और उसने देखते-देखते पूरे पंजाब में अपना एक बड़ा समूह खड़ा कर लिया। वह नशा छुड़ाने के नाम पर युवाओं को पकड़ता, उनको पीटता और उसके साथ उन्हें सिख कौम के नाम पर उसकी खालिस्तान दृष्टि से काम करने के लिए भी तैयार करता था। जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव के गुरु द्वारे में जाकर भाषण दिया और उसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई। पिछले कुछ वर्षो में बेअदबी की घटनाओं के आरोप लगा कर गुरुद्वारों तक में हिंसा और हत्याएं हुई। पुलिस ने पूरे प्रदेश से हिंसा की आग में झोंकने वाले हथियारों के भंडार बरामद किए हैं, आतंकवादी गिरफ्तार हुए हैं। विदेश में दृष्टि दौड़ाएं तो अलगाववादी हिंसक तत्वों की गतिविधियां बता रही हैं कि नये सिरे से पंजाब में उथल-पुथल पैदा करने के षड्यंत्र जारी हैं।
कनाडा सरकार ने तो वहां मारे गए आतंकवादी के पक्ष में भारत को कठघरे में खड़ा किया। हालांकि ऐसे लोग मुट्ठी भर से ज्यादा नहीं हैं, इसलिए ये सफल होंगे ऐसा नहीं माना जा सकता। किंतु जिस प्रदेश ने आतंकवाद का इतना बड़ा दौर देखा, 72 हजार के आसपास लोगों की जानें गई वहां सुखबीर बादल पर हमला बताता है शासन की ओर से किस तरह की सख्ती और सतर्कता की आवश्यकता है।
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