ट्रम्प का पुन: उदय : वैश्विक संतुलन का नया अध्याय
वर्तमान में अमेरिकी राजनीति में उभरती हुई रूढ़िवादी लहर न केवल अमेरिका की आंतरिक संरचना को बदल रही है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी इसका गहरा असर दिखाई दे रहा है।
ट्रंप का पुन: उदय : वैश्विक संतुलन का नया अध्याय |
यह परिवर्तन ऐसी नई वैश्विक धारा का प्रतीक है, जहां अमेरिका परंपरागत मूल्यों और राष्ट्रीय हितों को केंद्र में रख कर एक नई दिशा में आगे बढ़ सकता है।
वैश्विक संघर्ष के बीच शक्ति संतुलन का प्रश्न अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। यूक्रेन संकट से लेकर इस्रइल-फिलिस्तीन विवाद तक हर मुद्दा संबंधित देशों के लिए ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और वैश्विक संस्थाओं के लिए भी गहरी चिंता का विषय बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और नाटो जैसी संस्थाओं की भूमिका भी इन संकटों में महत्त्वपूर्ण बनती जा रही है क्योंकि इन संगठनों का मूल उद्देश्य शांति स्थापना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ावा देना है।
लेकिन बढ़ते तनाव और विभिन्न देशों के राजनीतिक हितों के कारण इन संस्थाओं की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। यूक्रेन संकट ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का असर यूरोपीय देशों के ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति पर पड़ा है, जिससे गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। संभव है कि ट्रंप यूरोपीय संघ पर दबाव बनाएं कि रूस के साथ व्यापारिक और ऊर्जा समझौतों को संतुलित करें जिससे अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सके। इस्रइल-फिलिस्तीन संघर्ष का भी वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रभाव है। बाइडन प्रशासन ने इस्रइल का समर्थन जारी रखा लेकिन ट्रंप के आने से इस्रइल को और अधिक समर्थन मिल सकता है।
बांग्लादेश की राजनीति में अमेरिका का हस्तक्षेप ऐसे दौर की याद दिलाता है जब विश्व शक्तियां विकासशील देशों की संप्रभुता को चुनौती देकर अपने विचारधारात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाती थीं। मानवाधिकार और लोकतंत्र के समर्थन में कदम उठाते हुए अमेरिका ने बांग्लादेश में दबाव बनाया लेकिन इससे वहां की राजनीतिक धारा और भी उलझी दिखाई देती है। बांग्लादेश के लोग इस हस्तक्षेप को बाहरी हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं। ट्रंप अपनी ‘अमेरिका फस्र्ट’ नीति के तहत वैश्विक मामलों में संतुलन लाने का प्रयास करेंगे। उनकी सोच में संप्रभुता का सम्मान और देशों को आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा शामिल है। वह हस्तक्षेपवादी दृष्टिकोण को समाप्त कर बांग्लादेश जैसे देशों को उनके खुद के रास्ते पर चलने का अवसर दे सकते हैं, जहां वे अपने आंतरिक मुद्दों को बाहरी प्रभाव से मुक्त होकर सुलझा सकें। यह नीति सशक्त संदेश देगी कि अमेरिका न केवल शक्तिशाली राष्ट्र है, बल्कि एक मित्र भी है जो अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है।
ट्रंप प्रशासन के इस दृष्टिकोण से बांग्लादेश जैसे देशों को अपनी स्वतंत्र पहचान और निर्णय लेने की क्षमता में मजबूती मिल सकती है। यह ऐसा समीकरण बनेगा जिसमें अमेरिका का ‘सम्मानजनक सहयोगी’ का स्वरूप उभरेगा जो न केवल अपने राष्ट्रीय हितों का ख्याल रखता है, बल्कि वैश्विक स्थिरता का भी समर्थन करता है। यह नीति चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का भी रणनीतिक मार्ग बन सकती है। बांग्लादेश जैसे देश अपने हितों के हिसाब से चीन और अमेरिका के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप का संप्रभुता-आधारित दृष्टिकोण बांग्लादेश को उसके हितों के अनुसार स्वतंत्र राह चुनने का मौका देगा जिससे वह बाहरी प्रभावों के दबाव से मुक्त रह सके और अपनी अर्थव्यवस्था और कूटनीति में संतुलन बना सके।
ट्रंप का सत्ता में आना कई मायनों में ऐतिहासिक और राजनीतिक परिवर्तन है, जो न केवल अमेरिका की घरेलू नीतियों पर असर डालेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों, वैश्विक व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।
ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अपने सहयोगियों के साथ एक संतुलित शक्ति के रूप में कार्य करना होगा जिसमें न केवल सैन्य ताकत का प्रयोग शामिल है, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक संवाद भी होंगे। यह नीति अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थिर और विसनीय सहयोगी के रूप में प्रस्तुत करेगी। यह ट्रंप की ‘मूल्यों पर आधारित राजनीति’ की धारणा को भी बल देगी जो अमेरिका को नैतिक शक्ति के रूप में उभारने का प्रयास करेगी। सामाजिक दृष्टिकोण से ट्रंप के नेतृत्व में पारंपरिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रयास होगा जिसमें अमेरिकी परिवार, धार्मिंक स्वतंत्रता और सामुदायिक संबंधों को केंद्र में रखा जाएगा। यह न केवल अमेरिकी समाज के सांस्कृतिक ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि उसे अद्वितीय पहचान भी प्रदान करेगा।
अमेरिका ऐसी पहचान को अपनाने की दिशा में अग्रसर होगा जो आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखेगी। इस पुनर्जागरण का उद्देश्य न केवल अमेरिकी समाज को एक दिशा देना है, बल्कि उन सभी राष्ट्रों को प्रेरित करना है जो सांस्कृतिक गौरव और आधुनिकता के बीच संतुलन की तलाश कर रहे हैं।
इस प्रकार ट्रंप का नेतृत्व ऐसे युग की शुरुआत कर सकता है, जिसमें अमेरिका न केवल आर्थिक और सैन्य शक्ति के रूप में, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संवाहक के रूप में भी उभर सकता है। इस नये युग में अमेरिका का उद्देश्य केवल अपना हित साधना नहीं होगा, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देना होगा। ट्रंप के प्रयास मजबूत, आत्मनिर्भर और प्रभावशाली अमेरिका की पुनर्स्थापना करेंगे, जो न केवल विश्व मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा, बल्कि दूसरे राष्ट्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
(लेखक मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)
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