चुनाव : जमीनी मुद्दे उभरना बड़ा बदलाव

Last Updated 09 Oct 2024 12:45:11 PM IST

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 2024 के चुनावों ने महत्त्वपूर्ण राजनीतिक-सामाजिक अंतर्दृष्टि प्रदान की है, जो न केवल मतदाताओं की प्राथमिकताओं को दर्शाती है, बल्कि विभिन्न दलों द्वारा चलाए गए विभिन्न अभियानों की प्रभावशीलता को भी दिखाती है।


हरियाणा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 90 सीटों वाली विधानसभा में 40 सीटों पर बढ़त बनाते हुए लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने की ओर अग्रसर है। यह जीत हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा के निरंतर प्रभुत्व को दर्शाती है, जबकि उसे अधिक कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा था खासकर कांग्रेस से, जिसने 35 सीटों पर बढ़त लिए हुए है। कई कारकों ने भाजपा को इस दौड़ में आगे बढ़ने में मदद की। भाजपा की जीत का एक मुख्य कारण पिछले एक दशक में विकास पर केंद्रित शासन है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया खासकर ग्रामीण आबादी के लिए। औद्योगिक विकास पर राज्य का ध्यान और हरियाणा को औद्योगिक केंद्र के रूप में बढ़ावा देने से भी पार्टी की विकास समर्थक छवि मजबूत हुई खासकर रोजगार के अवसरों की तलाश कर रहे युवाओं के बीच। भाजपा की संगठनात्मक ताकत और चुनावी रणनीति भी इसकी सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण थी। नेतृत्व परिवर्तन और सत्ता विरोधी भावना की धारणा के कारण बहुत मुश्किल लग रहे चुनाव में पार्टी ने मजबूत जमीनी नेटवर्क बनाए रखा जिसने विभिन्न मतदाता वगरे तक प्रभावी पहुंच सुनिश्चित की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और सीएम पद के उम्मीदवार सैनी के रणनीतिक नेतृत्व के साथ मिल कर उस सत्ता विरोधी भावना का मुकाबला करने में मदद की जिसे कांग्रेस ने उजागर करने का प्रयास किया था। मोदी की राष्ट्रीय योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना ने मतदाताओं पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिससे भाजपा की अपील में इजाफा हुआ है। भाजपा की जीत में विपक्ष के बंटवारे ने भी अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस 35 सीटों पर बढ़त लेकर मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी है, लेकिन विपक्षी दलों के बीच एकजुट मोर्चे की कमी ने भाजपा के पक्ष में काम किया। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी), जिसे कभी हरियाणा की राजनीति में उभरती ताकत माना जाता था, इस बार खाता भी नहीं खोल सकी। एक समय में क्षेत्रीय दल के तौर पर प्रमुख भूमिका निभाने वाली इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने भी अपनी गिरावट जारी रखी और सिर्फ एक सीट हासिल की। भाजपा विरोधी वोटों का यह विखंडन विपक्ष को सत्तारूढ़ पार्टी के लिए मजबूत चुनौती बनने से रोकने में महत्त्वपूर्ण कारक रहा है।

हरियाणा में महत्त्वपूर्ण स्थानीय मुद्दों ने भी इस चुनाव में मतदाताओं की पसंद को आकार दिया। किसानों के मुद्दे राजनीतिक चर्चा में सबसे आगे रहे खासकर 2020 में विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर। हालांकि भाजपा किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं जैसे प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण और फसल बीमा कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करके नुकसान को कम करने में कामयाब रही।

हरियाणा की राजनीति में  महत्त्वपूर्ण कारक जातिगत गतिशीलता ने भी भाजपा की सफलता में भूमिका निभाई। जहां कांग्रेस ने जाट वोटों को एकजुट करने की कोशिश की वहीं भाजपा ने दलितों और ओबीसी सहित गैर-जाट समुदायों पर ध्यान केंद्रित किया। लक्षित कल्याण कार्यक्रमों और सामाजिक उत्थान योजनाओं के माध्यम से इन समुदायों तक पार्टी की पहुंच ने गैर-जाट मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने में मदद की। हरियाणा में भाजपा की लगातार तीसरी जीत विकास, रणनीतिक नेतृत्व और जाति और मतदाता गतिशीलता के प्रभावी प्रबंधन पर इसके फोकस का परिणाम है। कांग्रेस से कड़ी चुनौती के बावजूद स्थानीय मुद्दों को संबोधित करने की भाजपा की क्षमता, इसके मजबूत संगठनात्मक ढांचे के साथ मिल कर, हरियाणा में सत्ता बरकरार रखने में मदद की है। आगे बढ़ते हुए पार्टी को राज्य में अपने राजनीतिक प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए विशेषत: रोजगार और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में अपने वादों को पूरा करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

जम्मू-कश्मीर में 2024 के चुनाव ऐतिहासिक थे, जो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और 2019 में राज्य के विभाजन के बाद पहली बड़ी चुनावी कवायद थी। चुनाव परिणामों से मतदाताओं में गहरी ध्रुवीकरण की झलक मिलती है, जिसमें भाजपा जम्मू में दबदबा बनाए हुए है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस जैसी क्षेत्रीय पार्टयिां घाटी में दबदबा बनाए हुए हैं। भाजपा जम्मू क्षेत्र में 29 सीटों के साथ विजयी हुई जिसने हिन्दू बहुल क्षेत्रों में प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में स्थिति मजबूत की। राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और जम्मू और कश्मीर को शेष भारत के साथ एकीकृत करने पर केंद्रित पार्टी के अभियान ने मतदाताओं को खूब प्रभावित किया। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण और औद्योगीकरण व पर्यटन के माध्यम से आर्थिक विकास के उसके वादों के इर्द-गिर्द पार्टी की बयानबाजी ने केवल जम्मू क्षेत्र के मतदाताओं को प्रभावित किया।

हालांकि घाटी की स्थिति अलग थी। एनसी और कांग्रेस गठबंधन घाटी में सबसे बड़े समूह के रूप में उभरे जिन्होंने क्रमश: 42 और 6 सीटों पर बढ़त ली हुई है, जबकि पीडीपी को 3 सीटें मिलीं। एग्जिट पोल ने भी इसी तरह के नतीजों की भविष्यवाणी की थी, जिससे भाजपा और उसकी नीतियों के प्रति मतदाताओं के संदेह को उजागर किया गया। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 2024 के चुनाव परिणाम भारत के चुनावी परिदृश्य की जटिलता को रेखांकित करते हैं। मतदाता बेहतर शासन, वास्तविक और जमीनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और राजनीतिक दलों को उन्हें संबोधित करने के लिए मजबूर करते हैं।
(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)

डॉ. सचिन शर्मा


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