क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत को हासिल क्या

Last Updated 30 Sep 2024 01:16:22 PM IST

कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 21-23 सितम्बर, 2024 की तीन दिनी अमेरिका यात्रा कई मायनों में महत्त्वपूर्ण रही।


क्वाड : भारत को हासिल क्या

उनकी यह यात्रा हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने और वैिक व क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के वास्ते क्वाड के अन्य सदस्य देशों यानी अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने के साथ ही यूक्रेन और गाजा में संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने और ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दूर करने पर भी केंद्रित थी।  

जहां तक विलमिंगटन डेलावेयर में राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा 21 सितम्बर, 2024 को आयोजित क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग ‘क्वाड’ लीडर्स शिखर सम्मेलन में प्राप्त भारत की उपलब्धियों का प्रश्न है, तो प्रधानमंत्री मोदी ने इस मंच से अप्रत्यक्ष तौर पर चीन को संदेश देते हुए कहा कि हम सभी नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, और भारत विस्तारवाद के स्थान पर विकासवाद का समर्थक है।

जब प्रधानमंत्री ने कहा कि आज समुद्र और आसमान, दोनों सुरक्षित नहीं हैं, तो उनका संकेत चीन की तरफ था क्योंकि दक्षिण चीन सागर पर चीन इसलिए कब्जे का प्रयास कर रहा है कि उसमें उसके देश का नाम शामिल है। ऐसे बेहूदे तकरे के आधार पर जब कोई देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों का माखौल उड़ाता है, तो स्वयं तो उपहास का पात्र बनता ही है, साथ में पूरी दुनिया को भी संकट में डालता है। मोदी की यात्रा ने भारत को 14 सदस्यों वाले हिन्द-प्रशांत आर्थिक समृद्धि ढांचे (आईपीईएफ) को और नजदीक लाने में भी सहायता की है। यह पहल क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2022 में शुरू की थी।

क्वाड-अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान-चार देशों का चौगुट है, जो हिन्द-प्रशांत के भीतर मौजूद समस्याओं से निपटने और क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता और विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाने के लिए बना है। इसीलिए चीन इस संगठन के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करता रहता है। आज जबकि कई वैिक मंचों की अहमियत नहीं रह गई है, ऐसे में क्वाड लीडर्स के सम्मेलन में क्वाड के प्रति मोदी की प्रतिबद्धता और कहना कि यह संस्था बनी रहेगी, सदस्य देशों के बीच आपसी साझेदारी होगी तथा तालमेल भी बना रहेगा तो निश्चित ही पर चीन को नागवार ही गुजरेगा। क्वाड के चारों नेताओं की बातचीत के बाद विलमिंग्टन घोषणापत्र जारी किया गया। इसमें वैिक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुरक्षा, कृषि शोध, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष, बुनियादी ढांचा, इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क, महत्त्वपूर्ण और उभरती तकनीक, तटरक्षक सहयोग, अंडरसी केबल और डिजिटल कनेक्टिविटी, इंडो-पैसिफिक में प्रशिक्षण के लिए समुद्री पहल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार आदि पर भी अपने भावी सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। निश्चित तौर पर ये सभी पहलकदमियां क्वाड सहयोग की बढ़ती सार्वभौमिक प्रकृति को रेखांकित करती हैं।

क्वाड नेताओं ने ‘इंडो-पैसिफिक में प्रशिक्षण के लिए समुद्री पहल की घोषणा की ताकि क्षेत्रीय साझेदारों को इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस और अन्य क्वाड पहलों के उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद मिल सके ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जा सके और नागरिक समुद्री सहयोग में समुद्री सुरक्षा को लेकर सुधार किया जा सके, अपने जल की निगरानी और सुरक्षा की जा सके, अपने कानूनों को लागू किया जा सके और गैर-कानूनी व्यवहार को रोका जा सके। इस प्रकार क्वाड में भारत की भागीदारी जहां चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर लगाम लगा रही है, वहीं एक्ट ईस्ट पॉलिसी और पूर्वी एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में भी मददगार साबित हो रही है।

अमेरिका, भारत, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया ट्रीटी के अलायंस पार्टनर्स हैं, लेकिन भारत की दिलचस्पी औपचारिक अलायंस में नहीं रही है। इसके बावजूद क्वाड हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और सबके लिए खुला बनाए रखने और इस क्षेत्र के लिए समावेशी रूप के साझा लक्ष्यों को लेकर जिस प्रकार आगे बढ़ रहा है, और चार वर्ष पहले बने इस संगठन ने अब तक जिस प्रकार से सफलतापूर्वक छह शिखर सम्मेलन आयोजित कर लिए हैं, उससे इस संगठन की प्रासंगिकता निकट भविष्य में और बढ़ेगी और दक्षिण प्रशांत, हिन्द महासागर और दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की हरकतों से परेशान देश भी इसमें जुड़ते जाएंगे। गौरतलब है कि भारत जहां 2025 में 7वें क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा वहीं अमेरिका 2025 में विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा।

गिरीश चंद्र पाण्डे


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