वैश्विकी : व्हाइट हाउस में विवेक रामास्वामी?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मतदान में अभी 15 महीने बाकी हैं। लेकिन अमेरिकी राजनीति की प्रक्रिया के तहत मुख्य राजनीतिक दलों में उम्मीदवार के चयन के लिए सरगर्मी शुरू हो गई है।
वैश्विकी : व्हाइट हाउस में विवेक रामास्वामी? |
फिलहाल विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी में उम्मीदवारी की दावेदारी के लिए संभावित प्रत्याशी चुनाव प्रचार के मैदान में उतर गए हैं। जहां तक सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी का सवाल है, वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। उनके विरुद्ध अभी तक कोई गंभीर प्रतिद्वंद्वी सामने नहीं आया है।
अमेरिका में सबसे सफल प्रवासी समूह भारतीयों में इस चुनाव को लेकर बहुत उत्सुकता है। इसका एक कारण यह है कि रिपब्लिकन पार्टी के खेमे में भारतीय मूल के दो प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। एक संभावित प्रत्याशी निक्की हेली (निम्रता रंधावा) अमेरिका में सुपरिचित नाम है। वह एक अमेरिकी राज्य में दो बार गर्वनर रह चुकी हैं। साथ ही राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का स्थायी प्रतिनिधि बनाया गया था। निक्की हेली सिख परिवार में पैदा हुई लेकिन बाद में चर्च के साथ जुड़ गई।
दूसरे संभावित प्रत्याशी विवेक रामास्वामी हैं। इनके माता-पिता केरल से करीब चार दशक पूर्व अमेरिका गए थे। विवेक तमिल ब्राह्मण हैं और उन्होंने अपूर्वा तिवारी से प्रेम विवाह किया है। विवेक रामास्वामी दंपति के दो पुत्र हैं। प्रचार के दौरान पूरा परिवार साथ निकलता है। वास्तव में विवेक रामास्वामी पूरी तरह ‘भारतीय मूल’ का होने का दावा कर सकते हैं। इसके पहले भारतीय मूल की कमला हैरिस और हिंदू धर्मावलंबी तुलसी गबार्ड चुनाव मैदान में उतर चुकी थीं।
एक परंपरावादी और शाकाहारी हिंदू क्या व्हाइट हाउस में पहुंच पाएगा? कट्टर ईसाई गुटों ने विवेक की उम्मीवारी का विरोध शुरू कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी से ही जुड़ी एक कार्यकर्ता ने कहा ‘यह शख्स बहुत मेधावी और चमत्कारी व्यक्तित्व वाला है। हम ईसाइयों को इससे सतर्क रहना चाहिए।’ एक अन्य टिप्पणीकार ने कहा ‘क्या हम यह बर्दाश्त करेंगे कि एक हिंदू अपने ऊटपटांग देवी-देवताओं के साथ व्हाइट हाउस में विराजमान हो।’ इन कटाक्षों के बावजूद विवेक की लोकप्रियता रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों में बढ़ रही है।
विवेक की बढ़ती लोकप्रियता का एक कारण यह है कि वह परंपरावादी विचारधारा के हैं। उन्होंने अमेरिका को वर्तमान विभाजनकारी राजनीति और आंतरिक संघर्ष से उबारने के लिए 10-सूत्रीय गुरुमंत्र दिया। ये 10 सूत्र हैं-ईर का अस्तित्व है, समाज के दो अंग हैं-महिला और पुरुष, माता-पिता और बच्चों से बना परिवार दुनिया में सबसे बड़ी पाठशाला है, खुली सीमा किसी देश की सीमा नहीं हो सकती, बच्चों को कैसी शिक्षा देना है यह तय करने का अधिकार माता-पिता को है। ये पांच सूत्र अमेरिका ही नहीं बल्कि भारत सहित किसी भी देश के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं। विशेषकर परिवार आधारित भारतीय समाज में तो यह सहज सामान्य सोच है। विवेक ने अब इसे अमेरिका का भी एक विचारणीय मुद्दा बना दिया है।
विवेक के अगले 5 सूत्र अर्थव्यवस्था और राजनीति से संबंधित हैं। इनका कहना है कि ‘नस्लवाद के विरोध के नाम पर अन्य वगरे का हक मारना अपने आप में नस्लवाद है,’ कोयला आधारित ऊर्जा आर्थिक विकास के लिए जरूरी है, लोगों को गरीबी से ऊपर उठाने के लिए पूंजीवाद सबसे कारगर आर्थिक प्रणाली है, सरकार के तीन अंग हैं-व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इसमें नौकरशाही के दबदबे के लिए कोई स्थान नहीं है, 10 वां और अंतिम अमेरिकी संविधान स्वतंत्रता की रक्षा की सबसे बड़ी गारंटी है।
अमेरिकी मतदाताओं के लिए विवेक का यह एजेंडा आकषर्क लेकिन चौंकाने वाला है। यह एजेंडा डेमोक्रेटिक पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों के विपरीत है। इसमें ट्रंप की नीतियों की झलक भी दिखती है, हालांकि विवेक ट्रंप से दो कदम आगे खड़े दिखाई दे सकते हैं। ट्रंप मेक्सिको सीमा से घुसपैठ रोकने को दीवार खड़ी करने की वकालत करते थे, वहीं विवेक सीमा पर सेना की तैनाती के पक्ष में हैं। नौकरशाही के विरुद्ध मानो विवेक ने युद्ध छेड़ दिया है। उन्होंने संघीय जांच एजेंसी एफबीआई को भंग करने की भी बात की है। कल तक जिस उम्मीदवार का नामलेवा नहीं था वह व्हाइट हाउस में प्रवेश करने की एक निश्चित संभावना बन गया है।
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